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छतरपुर

भू-माफियाओं ने बेच दी पहाड़ व छोटे झाड़ के जंगल की आरक्षित 222 एकड़ सरकारी जमीन

जिला मुख्यालय पर सदर और पलौठा पटवारी मौजा में हुआ खेलशहर के 4 स्थानों पर सरकारी जमीनों पर कर दी प्लॉटिंग

छतरपुरJan 24, 2020 / 08:25 pm

Dharmendra Singh

Plotting on government land at 4 places in the city

Plotting on government land at 4 places in the city

छतरपुर। भू-माफियाओं ने शहर में पहाड़ और छोटे झाड़ के जंगल के लिए आरक्षित राजस्व जमीन तक नही छोड़ी है। जिला मुख्यालय पर चार इलाकों में सरकारी रकबा पर भूमाफियाओं ने सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर सरकारी जमीन निजी बनाकर बेच डाली। भू-माफियाओं ने कुछ वर्गफीट नहीं बल्कि 330 एकड़ पहाड़ व छोटे झाड़ की जमीन में से 222 एकड़ की प्लाटिंग कर दी है। भूमाफियाओं के इस खेल के दौरान कई कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार आए और गए, लेकिन भूमाफियाओं का ये खेल धडल्ले से चलता रहा। छतरपुर शहर के पलौठा और छतरपुर सदर पटवारी हल्का में 222 एकड़ आरक्षित जमीन को सरकारी रिकॉर्ड में किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना निजी लोगों के नाम पर चढ़ाया गया और फिर कुछ वर्षो तक फर्जी एंट्री लगातार रिकॉर्ड में दोहराते हुए इसे पक्का कर लिया गया। उसके बाद इन कीमती जमीनों की रजिस्ट्री करके प्लॉट के रुप में टुकड़ों में बेच दिया गया। वर्ष 1979-80 से शुरु हुआ आरक्षित सरकारी जमीन की बंदरबाट का ये सिलसिला आज भी जारी है।
चरखारी रियासत की 133 एकड़ जमीन बना दी निजी
पन्ना रोड पर बीएसएनएल कॉलोनी से लगा 185 एकड़ का रकबा चरखारी रियासत के बंदोबस्त के समय वर्ष 1945-46 से जंगल व पहाड़ के नाम से दर्ज है। पलौठा पटवारी मौजा के खसरा नंबर 750 में 110 एकड़ और 751 में 75 एकड़ जमीन मध्यप्रदेश शासन के नाम पर वर्ष 1952-53 तक दर्ज रही। उसके बाद बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के पटवारी द्वारा सरकारी जमीन को जगत सिंह के नाम पर 75 एकड़ जमीन दर्ज कर दी गई। वहीं बिना सरकारी आदेश के 750 नंबर के 11 बटांक करके 52 एकड़ में शासन का नाम व बाकी जमीन निजी लोगों के नाम चढ़ा दिए गए। उन दोनों जमीन पर आज निजी लोगों का कब्जा है। वर्तमान में पूरे इलाके में कुल 133 एकड़ जमीन पर प्लॉटिंग हैं।
48 एकड़ जंगल-झाड़ी पर बसी कॉलोनी
छतरपुर शहर का बंदोबस्त वर्ष 1939-40 में हुआ था। बंदोबस्त के मुताबिक छतरपुर पटवारी हल्का के खसरा नंबर 3230 में 48 एकड़ जमीन जंगल-झाड़ी के नाम से दर्ज थी। लेकिन वर्ष 1979-80 में बिना किसी आदेश के भुजबल लोधी, जगदीश लोधी, रामसिंह, मुलायम सिंह लोधी, भुगन्ता कुम्हार, पुन्ना कुम्हार, भूरे लोधी के नाम यही जमीन चढ़ा दी गई। इसके बाद 2009-10 में बिना किसी अधिकारी के आदेश के बिन्दा लोधी, भगुन्ता कुम्हार, बलुवा कुम्हार, भूरे लोधी, ढिलगा कुम्हार व जगपाल कुम्हार के नाम दर्ज कर दिए गए। जिसके बाद शासन के नाम केवल 4.584 हेक्टेयर जमीन बची। बची हुई सरकारी जमीन में प्रेमचंद्र जैन के नाम चढ़ा दी गई। जिसे प्रेमचंद्र ने बालकृष्ण अग्रवाल, विजय व सुनील अग्रवाल को बेच दी।
यहां 36 एकड़ जमीन बना दी निजी
तीसरा खेल छतरपुर पटवारी मौजा के खसरा नंबर 3269 व 3270 की सरकारी जमीन पर हुआ। रियासत के बंदोबस्त के समय वर्ष 1939-40 में खसरा नंबर 3269 में 41 एकड़ और 3270 में 51 एकड़ जमीन पहाड़ के नाम से दर्ज है। वर्तमान में इन दोनों जमीन के रकबा 92 एकड़ में से 56 एकड़ में पुलिस लाइन, पुलिस क्र्वाटर व पुलिस खेल मैदान है, बाकि 36 एकड़ जमीन वर्ष 1974-75 में नन्ना ढीमर, रामप्यारी निगम, अनिल कुमार जैन, राजीव कुमार जैन, अभय कुमार जैन, अरूण प्रताप श्रीवास्तव, कमलेश व अयोध्या पटेल के नाम पर निजी जमीन के रुप में सरकारी रिकॉर्ड में चढ़ा दी गई। वर्तमान में इन जमीनों पर प्लाटिंग करके कॉलोनी बसा दी गई।
यहां भी सरकारी रिकॉर्ड में हुआ खेल
छतरपुर रियासत के बंदोबस्त के समय वर्ष 1939-40 में छतरपुर पटवारी हल्का के खसरा नंबर 3155 में 2 एकड़ 54 डिसीमल और 3110 में 2 एकड़ 78 डिसीमल एकड़ जमीन छोटे झाड़ का जंगल के नाम से दर्ज थी। यह जमीन 1955-56 में शंकरलाल कास्त के नाम बिना अधिकारी के आदेश के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कर दी गई। वर्ष 1984 में यह जमीन प्रीतम सिंह सरदार के नाम चढ़ा दी गई। इसके बाद वर्ष 2003-04 में इस जमीन की रजिस्ट्री डॉ. रुद्र प्रताप खरे व मूल्लाबाई बरसैया के नाम कर दी गई। वर्तमान में इन जमीनों पर नर्सिंग होम, निवास बने हुए हैं।
फैक्ट एक नजर में
पटवारी हल्का खसरा नंबर कुल रकबा निजी बना दी
पलौठा 750 110 एकड़ 58 एकड़
पलौठा 751 75 एकड़ 75 एकड़
छतरपुर 3230 48 एकड़ 48 एकड़
छतरपुर 3269,3270 92 एकड़ 36 एकड़
छतरपुर 3155 2.54 एकड़ 2.54 एकड़
छतरपुर 3110 2.78 एकड़ 2.78 एकड़

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