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छतरपुर

अजब-गजब : माटी, पानी, धूल, हवा, सब रोगों की यही दवा के साथ स्वस्थ्य हो रहे मरीज

२८ सालों से मरीजों का प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से इलाज कर रहे रामचरण विद्यार्थी

छतरपुरMay 18, 2018 / 01:33 pm

rafi ahmad Siddqui

Natural medicine Healthy patients

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रफी अहमद सिद्दीकी. छतरपुर। शहर के गांधी आश्रम में इस समय प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार मरीजों के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभाकारी साबित हो रहा है। वृद्ध रामचरण विद्यार्थी मरीजों को कभी कुंजल क्रिया तो कभी जलनीति से इलाज करते देखे जा सकते हैं। बहुसंख्यक आबादी में बढ़ रही स्वास्थ्य की चिंता अब लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा की ओर ला रही है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। करीब २८ साल से प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से मरीजों का इलाज करते आ रहे हैं। वे मरीजों को मिट्टी से उपचार करते हैं।
रामचरण विद्यार्थी मूल रूप से यूपी के महोबा जिले के भडऱा गांव के रहने वाले हैं। वह १३ साल की उम्र में शहर के गांधी आश्रम में पढ़ाई करने के लिए आ गए थे और उन्होंने यहां कक्षा छह में प्रवेश लिया था। १२ वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में लगा दिया। इस दौरान वर्ष १९६३ में वे समग्र ग्राम विकास की ट्रेनिंग लेने के लिए पंजाब गए थे। जहां उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा की बारीकियां सीखीं। वर्ष १९६४ में वे विनोबा भावे के मिशन ग्राम दान ग्राम स्वराज अभियान से जुड़े और काफी समय तक इस पर काम किया। रामचरण विद्यार्थी ने छह वर्ष राजस्थान में डाकुओं के समर्पण के बाद डाकुओं को बेहतर रास्ते पर लाने के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने में दो वर्ष तक दिल्ली में रहकर उन्होंने घुमंतू कबीलों पर रिसर्च किया। वर्ष १९९० से वे प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज करते आ रहे हैं।
रोग के अनुसार किया जाता है मरीज का इलाज
रामचरण विद्यार्थी बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा का एक सूत्र वाक्य है माटी, पानी, धूल, हवा, सब रोगों की यही दवा। इसी के आधार पर मरीजों का इलाज किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा मरीजों के लिए फायदेमंद है। प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी के द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है। जिससे विभिन्न रोगों के मरीजों को इसका लाभ मिलता है। प्राकृतिक चिकित्सा में रोग के अनुसार मरीज का इलाज किया जा रहा है।
कब्ज और एसिडिटी के मरीजों की संख्या ज्यादा
आज के भागदौड़ जीवन में व्यक्ति की दिनचर्या बिगड़ गई है। दिनचर्या बिगडऩे से कब्ज व एसिडिटी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा मरीजों के लिए बेहद लाभप्रद है। इसमें सामान्य क्रिया, कुंजल क्रिया, जल नीति, गर्म थैली से सिकाई आदि से मरीजों को खासा लाभ मिलता है। रामचरण विद्यार्थी बताते हैं कि कब्ज, एसिडिटी के अलावा शरीर में दर्द, कैंसर आदि के मरीजों को भी इससे लाभ मिलता है।

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