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छतरपुर

एक जैसी गड़बड़ी, पंचायत राज अधिनियम भी एक, लेकिन सभी पंचायतों में कर दी अलग-अलग कार्रवाई

-शासकीय राशि के खर्च में अनियमितता पर कार्रवाई में भेदभाव, अतिरिक्त राशि निकालने पर भी अलग-अलग कार्रवाई

छतरपुरSep 22, 2018 / 11:22 am

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धर्मेंद्र सिंह
छतरपुर। निर्माण कार्यो में गड़बड़ी के लिए आए दिन सुर्खियों में रहने वाली गौरिहार जनपद पंचायत में पंचायक एक्ट के पालन का पैमाना हर पंचायत में अलग-अलग है। जनपद की कई पंचायतों में निर्माण कार्य की अतिरिक्त राशि निकालना या फर्जी हितग्राही के नाम से रकम निकालने के मामले में कार्रवाई का पैमाना अलग-अलग रहा है। दोषी पाए जाने पर किसी पंचायत में सिर्फ रोजगार सहायक पर कार्रवाई की गई,तो किसी मेंं सरपंच-सचिव पर कार्रवाई की गई। समग्र स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण की राशि सरपंच और रोजगार सहायक के संयुक्त खाते से निकाली जाती है। रोजगार सहायक मस्टर रोल से लेकर भौतिक सत्यापन तक में शामिल होता है। ऐसे में गड़बड़ी होने पर एक दोषी और एक पाक साफ कैसे हो सकता है। शासकीय राशि योजना की राशि में गड़बड़ी करने पर पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत कार्रवाई का समान प्रावधान है। लेकिन गौरिहार जनपद पंचायत ने कई पंचायतों में निर्माण कार्य में एक जैसी वित्तीय अनियमितता पाए जाने पर अलग-अलग कार्रवाई की है।
इस तरह हुई अलग-अलग कार्रवाई :
गौरिहार जनपद की ग्राम पंचायत बम्हौरीपुरवा में भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में की गई,जिसकी जांच करने पर पाया गया कि शौचालय निर्माण के लिए वर्ष 2013-14 में 13 लाख 80 हजार रुपए दिए गए थे। जिसमें से ५२७९७० रुपए का कार्य सरपंच रामवती यादव और सचिव दिलीप कुमार पांडेय ने कराया। शेष राशि ८५२०३० रुपए बिना कार्य कराए ही निकला लिए गए। इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए सचिव पांडेय को निलंबित किया गया और सरपंच-सचिव से राशि की वसूली की गई। वहीं ठीक ऐसा ही मामला खेरा पंचायत में भी सामने आया। शिकायत होने पर जांच की गई, जांच के बाद रोजगार सहायक की संविदा सेवा समाप्त कर दी गई,लेकि न सरपंच पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि सरपंच-रोजगार सहायक के संयुक्त खाते से राशि निकाली गई। इसके अलावा ग्राम पंचायत मवईघाट में भी शौचालय निर्माण की राशि में अनियमितता की शिकायत पर जांच की गई। जांच में पाया गया कि शौचालय निर्माण के लिए ४ लाख 73हजार 800 रुपए बिना कार्य कराए ही निकाल लिए गए। इस मामले में जांच के बाद सरपंच रीता कु र्मी व सचिव रामविशाल शुक्ला से धारा 92 के तहत वसूली की कार्रवाई की गई। वित्तीय अनियमतिता के बावजूद धारा 40 की कार्रवाई नहीं की गई, न सचिव का निलंबन किया गया। ठीक ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत हनुखेड़ा में भी सामने आया,जहां जांच में शौचालय निर्माण में खर्च हुए 1 लाख 93 हजार 200रुपए का पूर्णता प्रमाण-पत्र ही नहीं मिला। इस केस में भी सरपंच राधारानी व सचिव मुलायम सिंह के खिलाफ पंचायत राज अधिनियम की धारा ९२/४० के तहत वसूली का नोटिस दिया गया। 96600 रुपए वसूल किए गए,जबकि बाकी राशि जमा नहीं हो सकी। लेकिन न धारा 40 के तहत कार्रवाई हुई,न सचिव का निलंबन। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत मिश्रनपुरवा में भी शौचालय निर्माण के लिए निकाली गई 9लाख 20 हजार रुपए की राशि में से 5लाख 4 हजार रुपए के निर्माण कराए ही नहीं गए। इस मामले में जांच के बाद सरपंच गोरेलाल और सचिव सुरेश अनुरागी से धारा 92 के तहत वसूली की कार्रवाई की गई। लेकिन यहां धारा 40 के तहत कार्रवाई नहीं की गई। न सचिव को निलंबित किया गया। एक जसी अनियमितता,एक अधिनियम,फिर भी कार्रवाई अलग-अलग की गई।
ये उठ रहे सवाल :
गौरिहार जनपद में शौचालय निर्माण की राशि में वित्तीय अनियमितता की जितनी भी शिकायतें सही पाई गईं,इन मामलों में पंचायतराज अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। लेकिन एक जैसी गड़बड़ी के मामले में हर पंचायत में कार्रवाई एक जैसी नहीं हुई,इससे कार्रवाई करने वाले अधिकारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। ज्यादतर मामलों में जनप्रतिनिधयों पर कार्रवाई ही नहीं की गई। जबकि वित्तीय अनियमितता पर धारा 40 के तहत नोटिस और उपधारा के ततह पद से हटाया जाना था। संशोधित नियमों के मुताबिक 2017 से शौचालय निर्माण में वित्तीय अनियमितता में सरपंच और रोजगार सहायक दोनों की मिलीजुली भूमिका के बिना गड़बड़ी हो ही नहीं सकती,तो फिर कार्रवाई केवल एक पर ही करने से कार्रवाई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरपंच-रोजगार सहायक के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक खाते से राशि निकाली और भुगतान की जाती है,रोजगार सहायक मस्टर रोल भरने से लेकर स्पॉट वेरीफिकेशन और पूर्णता प्रमाणपत्र देने जैसे कार्यो के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में बिना शौचालय निर्माण कराए राशि निकलती और उपयोग होना बताई जाती है,तो दोनों की भूमिका साफ तौर पर समझ आती है। तो फिर कार्रवाई एक पर ही क्यों?
ये है धारा 40 व 92 का मतलब :
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 में पंचायत पदाधिकारियों को हटाए जाने तथा धारा 92 के तहत पंचायत के अभिलेख एवं वस्तुओं को वापस कराने तथा धन वसूल करने का अधिकार है। धारा 92 के तहत शासकीय राशि गबन करने या अतिरिक्त रकम निकालने पर वसूली की कार्रवाई होती है। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों-पदाधिकारियों को पद से हटाए जाने की कार्रवाई धारा 40 के तहत की जाती है। धारा 40 की उपधारा 1 के तहत पद से हटाए जाने के बाद 6 साल तक इसे पंचायत प्रतिनिधि नहीं बनाया जा सकता है।
कार्रवाई में खुलकर भेदभाव हुआ है :
गौरिहार जनपद की कई ग्राम पंचायतों में वित्तीय अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई की गई, लेकिन एक ही अधिनियम के तहत हुई कार्रवाई में भी भेदभाव किया गया। अनियमितता में सचिव दोषी है तो, संयुक्त खाते से वित्तीय अधिकार होने पर भी पंचायत प्रतिनिधियों को क्यों बचाया गया।
– लखन अनुरागी, कांग्रेस नेता
केस के हिसाब से कार्रवाई हुई है :
यदि वित्तीय अनियमितता में मोबाइल ऐप का इस्तेमाल होता है, तो रोजगार सहायक की भूमिका मानी जाती है। केस के हिसाब से देखना पड़ता है कि अनियमितता में कौन-कौन शामिल है। वित्तीय अधिकार सरपंच-सचिव के पास ही होते थे, एक साल पहले ही रोजगार सहायकों के पास वित्तीय अधिकार आए हैं।
– प्रतिपाल सिंह बागरी, सीइओ,जनपद पंचायत गौरिहार

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