छतरपुर। जिले की केन-धसान और अन्य नदियों के किनारे की ग्राम पंचायतों में से 13 पंचायतों को जिला प्रशासन और खनिज विभाग ने नियम ताक पर रखकर रेत माफियाओं के दबाव में उत्खनन की अनुमति तो दे दी, लेकिन शासन की गाइड लाइन और रेत नीति २०१७ का पालन करने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की गई। लिहाजा अब सभी की सभी पंचायतों की खदानें रेत माफियाओं ने अनुबंध पर लेकर दिन-रात रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन करना शुरू कर दिया है। जबकि नियमानुसार पंचायत की खदानों से निकलने वाली रेत बिक्री से लेकर परिवहन तक की एक निश्चित प्रक्रिया है। इलैक्ट्रानिक एंट्री लेटर अर्थात पंचायत भू प्रवेश पत्र लेकर ही कोई वाहन खदान क्षेत्र में जाकर निर्धारित मात्रा में रेत लेकर निश्चित स्थान पर ले जा सकता है। इसके लिए चार घंटे की समय-सीमा निर्धारित होती है। लेकिन ग्राम पंचायतों की खुदानों पर यूपी के ट्रक घुसकर रेत ढोने में लगे हैं। पंचायतों की खदानों पर बड़ी गाडिय़ों के जाने, उनके भरने और राज्य की सीमा से बाहर जाने पर सीधी रोक है। लेकिन पंचायतों के सरपंच-सचिव, जनपद सीईओ से लेकर जिला पंचायत सीईओ इस पूरे खेल में शामिल होकर खुलेआम शासन की ही रेत नीति का उल्लंघन करवा रहे हैं।
गुरुवार को ही गौरिहार थाना क्षेत्र के पहरा चौकी अंतर्गत मबई घाट से अबैध रेत से भरे तीन ट्रक पकड़े गए थे। एसडीएम अविनाश रावत के निर्देश पर नायब तहसीलदार आरके जोशी ने मवई घाट से चले आ रहे अबैध रेत से भरे तीन ट्रक सीलप गांव के पास पकड़कर गौरिहार थाने में रखवा दिया। तीनों ट्रक यूपी के थे। इनके चालक कानपुर निवासी धीरेंद्र, पूरन और जसवंत के पास कोई भी दस्तावेज नहीं था। इसी तरह अन्य ग्राम पंचायतों की रेत खदानों और अवैध रेत खदानों से अवैध रूप से ट्रकों में रेत भरकर ढुलवाई जा रही है। इससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। लेकिन जनपद सीईओ से लेकर पंचायत के सरपंच-सचिव और जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे खेल में मिले हैं। पंचायतों की खदानों में तो माइनिंग विभाग के अफसर तक पार्टनर बनकर काम कर रहे हैं। ग्राम पंचायतों की खदानों पर बड़ी मशीनों से रेत का उल्खनन हो रहा है और ट्रक-डंपर भरकर रेत ढुलवाई जा रही है। जबकि नियमानुसार पंचायतों की खदानों में उत्खनन का काम मजदूरों के माध्यम से कराया जाना चाहिए।
अनुमति देने के पहले नहीं किया नियम का पालन :
प्रदेश की रेत खनन नीति २०१७ के अनुसार पंचायतों को खदान स्वीकृत करने या उसका नवीनीकरण करने के पहले जिस गाइड लाइन का पालन खनिज विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को करना चाहिए, उसका पालन जिले की 13 खदानों को अनुमति देने के पहले नहीं किया गया। खनिज संसाधन के बेहतर मूल्यांकन के लिए सस्टेनबल सेंड माईनिंग गाइड लाइन के तहत जिला जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने के द्रष्टिकोण से खदान में दो बार मानसून समाप्ति के तत्काल बाद माह अक्टूबर-नवंबर से एवं मानसून आरंभ होने के पूर्व माह अप्रैल-मई में और आवश्यकताअनुसार बीच में एक बार निरीक्षण किया जाना चाहिए। प्रत्येक निरीक्षण का प्रतिवेदन आवश्यक कार्रवाई के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेजा जाना चाहिए। लेकिन जिले की ग्राम पंचायतों की किसी भी खदान को अनुमति देने से पहले इस नियम का पालन नहीं किया गया। बिना निरीक्षण और प्रतिवेदन के चुपचाप अफसरों ने लाखों रुपए का लेन-देन करके ग्राम पंचायतों को रेत उत्खनन की अनुमति दे दी।
पंचायतों की खदानों से यह वाहन लेकर जा रहे रेत :
ग्राम पंचायतों से रेत माफिया ट्रकों से अवैध रूप से रेत लेकर राज्य की सीमा से बाहर यूपी में ट्रक भिजवा रहे हैं। पंचायतों की खदानों को प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद एक सप्ताह के अंदर दर्जन भर से ज्यादा यूपी के ट्रक से रेत ढोई गई है। जबकि नियमों के मुताबिक पंचायत को खुद ही रेत खदान का संचालन करना प्रस्तावित है, न कि किसी अनुबंध या ठेके अथवा लीज पर रेत उत्खनन करवाने की अनुमति है। नियमानुसार एमपी की खदानों से यूपी या अन्य राज्यों के वाहन तभी रेत लेकर जा सकते हैं जिनके पास ईवे बिल, एसजी-एसटी बिल आदि उपलब्ध हो। साथही उन्हीं वाहनों को रेत परिवहन करने का अधिकार दिया गया है जिन ट्रक या डंपर का रजिस्ट्रेशन पहले से शासन के ई-खनिज पोर्टल पर होगा। लेकिन पिछले एक सप्ताह में जिन भी ट्रकों ने पंचायत की खदानों से रेत ढोई है, इनमें से किसी का भी ई-खनिज पोर्टल पर न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही इनके पास ईवे बिल, एसजी-एसटी बिल थे। केवल पंचायत के भू-प्रवेश पत्र के नाम से यह पूरा खेल किया जा रहा है।
एक सप्ताह में इन ट्रकों से ढोई गई रेत :
यूपी-32 एचएन,6281
यूपी-32 एफएन, 2447
यूपी-32 एफएन, 8255
यूपी-90 टी, 0417
यूपी-32 केएन, 1037
यूपी-41 केटी, 5425
यूपी-41 केएन, 6218
यूपी -78 एचएन, 7780
यूपी-32 एचएन, ७४८२
यूपी-32 एचएन, 7507
यूपी-33 एसटी, 1370
यूपी-32 केएन, 3237
यूपी-32 केएन, 8484
यूपी-90 टी, 6981
यूपी-90 टी 7022
यूपी-41 एचएन, 6251
यूपी-33 एचटी, 1870
यूपी-78 एचएन, 8877
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