इन 13 गांवों का होना है विस्थापन
लिंक परियोजना के लिए छतरपुर-पन्ना जिले की सीमा पर ढोढन बांध प्रस्तावित है। इस बांध के डूब क्षेत्र के वन्य प्राणियों की शिफ्टिंग के लिए कटहरी-बिल्हारा, कोनी, मझौली, गहदरा, मरहा, खमरी, कूडऩ, पाठापुर, नैगुवा, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी, बसुधा गांव का चयन पार्क विस्तार के लिए किया गया है। ये अमानगंज क्षेत्र के गांव हैं, जिनमें 8873 हेक्टेयर भूमि है। एनडब्ल्यूडीए को दूसरे चरण की मंजूरी तब मिलेगी, जब संस्था 13 गांवों को खाली कराकर वन विभाग को सौंप देगी। इसके अलावा क्षतिपूर्ति वनीकरण, पार्क डवलपमेंट, वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट सहित अन्य कार्यों के लिए तय करीब 6500 करोड़ रुपए भी देने होंगे।
बीते दिनों सचिव स्तरीय बैठक’ के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें महानिदेशक, वन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) और मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के अधिकारी शामिल हुए थे। चरण-1 मंजूरी में छूट को लेकर आयोजित बैठक में ढोढऩ बांध, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई। ताकि समय से एनओसी मिल जाए और पीएम मोदी रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर परियोजना का शिलान्यास कर सकें। लेकिन बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।
परियोजना के चरण-1 के अनुमोदन के लिए 25 मई 2017 को एमओईएफ द्वारा 47 में से दो शर्तें अनिवार्य की गई थी। 6017 हेक्टेयर राजस्व भूमि की पहचान और पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) से इसका हस्तांतरण किया जाना है। हाल ही हुई बैठक में इसकों लेकर चर्चा की गई, ताकि चरण एक की आवश्यक मंजूरियां ली जा सकें। लेकिन हस्तांतरित होने वाली 6017 हेक्टेयर भूमि में से केवल 4206 हेक्टेयर की पहचान अब तक हो सकी है। बैठक में बताया गया कि पन्ना अभ्यारण्य के समीप छतरपुर जिले में शेष 1811 हेक्टेयर वन भूमि दी जा सकती है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी अब 6017 हेक्टेयर राजस्व भूमि के हस्तांतरण की शर्तों में ढील चाह रहे हैं। इसी को लेकर कवायद चल रही है।
नवंबर में परियोजना के शिलान्यास से पहले पन्ना टाइगर रिजर्व के 13 गांवों का विस्थापन किया जाना है। वन विभाग ने प्रोजेक्ट के बदले वन भूमि देने के लिए खाली राजस्व (अतिक्रमण मुक्त)भूमि की मांग की है। लेकिन दी जाने वाली प्रस्तावित जमीन पर 13 गांव बसे हैं, जिनका विस्थापन होने के बाद ही वन्य जीव क्लीयरेंस दिया जा सकेगा। वहीं, 13 गांव के विस्थापन की लंबी प्रक्रिया के चलते परियोजना के शिलान्यास के तय समय पर शुरुआत को लेकर रस्साकसी चल रही है।