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छतरपुर

जहां जनप्रतिनिधियों ने दिया सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान, वहां के शासकीय स्कूलों ने किया बेहतर प्रदर्शन

बोर्ड परीक्षाओं में छतरपुर-राजनगर ने किया सबसे बेहतर प्रदर्शन, विधायक खुद करते रहे स्कूलों का निरीक्षण
बिजावर-बड़ामलहरा का परीक्षा रहा सबसे कमजोर, शिक्षकों का स्कूल न आना और कमी बनी वजह

छतरपुरAug 06, 2020 / 08:35 pm

Dharmendra Singh

bord result review

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छतरपुर। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जिले के 115 शासकीय हाईस्कूल एवं 96 शासकीय हायरसेकंडरी स्कूल के घोषित किए गए दसवीं-बारहवी के परिणाम में जिले में छतरपुर और राजनगर ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं बडामलहरा और बिजावर का परिणाम सबसे कमजोर रहा है। हाईस्कूल में छतरपुर विधानसभा इलाके के शासकीय स्कूलों का परिणाम 77.3 और हायरसेकंडरी में राजनगर विधानसभा इलाके के स्कूलों का 82.6 प्रतिशत रिजल्ट आया है। वहीं, हाईस्कूल में 51.11 प्रतिशत के साथ बड़ामलहरा और हायरसेकंडरी में 65.6 प्रतिशत के साथ बिजावर का परिणाम सबसे कमजोर रहा है। जिले के ज्यादातर जनप्रतिनिधि स्टाफ की कमी को इसका कारण मान रहे हैं।
छतरपुर विधानसभा के स्कूलों ने हाईस्कूल में किया सबसे बेहतर प्रदर्शन
जिला मुख्यालय वाली इस विधानसभा के हाइस्कूल का परीक्षा परिणाम 77.3 प्रतिशत रहा, जो जिले में सबसे बेहतर है। लेकिन हायरसेकंडरी में 81.8 प्रतिशत रिजल्ट के साथ छतरपुर जिले में दूसरे नंबर पर है। इस विधानसभा के 12 शासकीय हाईस्कूल व 14 हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था है। उत्कृष्ट विद्यालय वाली इस विधानसभा के छात्र-छात्राओं ने सबसे अधिक मैरिट सूची में जगह बनाई है। प्रदेश की मैरिट में 11 और जिले की मैरिट में 6 बच्चे उत्कृष्ट विद्यालय से हैं। विधायक आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए प्रयास किए गए और आगे भी किए जाएंगे। कोविड-19 का प्रभाव कम होने पर बच्चों के प्रोत्साहन के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
राजनगर विधानसभा के स्कूलों ने हायरसेंकडरी में दिया सर्वश्रेष्ट रिजल्ट
हायर सेकंडरी परीक्षा में 82.6 प्रतिशत रिजल्ट के साथ जिले में सबसे बेहतर प्रदर्शन राजनगर विधानसभा इलाके के शासकीय स्कूलों
ने किया है। हालांकि 63.6 प्रतिशत अंक के साथ हाईस्कूल में राजनगर का प्रदर्शन जिले में तीसरे स्थान पर रहा। इस विधानसभा इलाके में 15 शासकीय हाईस्कूल व 16 हायरसेकंडरी स्कूल हैं। जिले की मैरिट में इस इलाके के 2 छात्रों ने जगह बनाई है। राजनगर विधायक विक्रम सिंह नातीराजा का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए स्कूलों को संसाधन मुहैया कराने पर जोर दिया गया। आने वाले दिनों में बच्चों को सम्मानित किया जाएगा।
बड़ामलहरा विधानसभा दसवीं में सबसे पीछे रहा
शिक्षकों की कमी वाली इस विधानसभा के शासकीय स्कूलों का दसवीं में सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा है। विधानसभा इलाके में 25 हाईस्कूल व 19 हायर सेकंडरी स्कूल हैं। विधानसभा क्षेत्र के शासकीय स्कूलों ने दसवीं में 51.1 प्रतिशत रिजल्ट प्राप्त किया है। वहीं बारहवीं में 68.8 प्रतिशत रिजल्ट आया है। इस विधानसभा का कोई भी छात्र मैरिट में जगह नहीं बना पाया है। बड़ामलहरा से विधायक रहे प्रद्युम्न सिंह का कहना है कि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए बहुत प्रयास किए गए, लेकिन शिक्षक ज्वॉइन ही नहीं करना चाहते। अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही शासकीय स्कूलों की पढ़ाई चल रही है। शिक्षकों की कमी दूरी करने के प्रयास अभी भी किए जा रहे हैं।
बिजावर ने 12वीं में किया सबसे खराब प्रदर्शन
पिछड़े क्षेत्र और शिक्षकों की कमी जैसी समस्या से जूझ रहे इस विधानसभा क्षेत्र के शासकीय हाईस्कूलों का परिणाम 53.4 प्रतिशत आया है। इस तरह जिले में पांचवे स्थान पर बिजावर आया है। हायरसेकंडरी में 65.6 प्रतिशत रिजल्ट के साथ बिजावर जिले में छठवें पायदान पर है। विधानसभा क्षेत्र में 15 शासकीय हाईस्कूल व 19 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं। इस विधानसभा के किसी भी स्कूल के छात्र ने मैरिट में जगह नहीं बनाई है। विधायक राजेश शुक्ला का कहना है कि विधानसभा का बड़ा हिस्सा आदिवासी बाहुल्य है। स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली है। इससे शिक्षण व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। आर्थिक परेशानियों के कारण बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे। मै प्रयास कर रहा हूं कि खाली पद भरे जाए और हर बच्चा स्कूल पहुंचे।
दोनों परीक्षाओं में चंदला चौथे पायदान पर
25 शासकीय हाईस्कूल व 14 हायरसेकंडरी स्कूल वाले चंदला विधानसभा ने दसवीं और वारहवीं में जिले में चौथे स्थान पाया है। हाईस्कूल में 60.9 और हायरसेकंडरी में 73.6 प्रतिशत रिजल्ट आया है। इस इलाके से 2 विद्यार्थियों ने प्रदेश की मैरिट सूची में स्थान हासिल किया है। चंदला विधायक राजेश प्रजापति का कहना है कि स्कूलों के रिजल्ट को सुधारने के लिए हमने स्कूल में संसाधन बढ़ाए हैं। जिनकी कमी से हमारे क्षेत्र में बच्चे पढ़ नहीं पाते थे। कोरोना काल में पढ़ाई को लेकर मैने कमिश्नर मैडम से मुलाकात कर बच्चों की पढ़ाई के संदर्भ में बात की है। ग्रामीण इलाके में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए आ रही समस्या का दूर किया जा रहा है। बिजली सप्लाई पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि बच्चों के मोबाइल चालू रहें और पढ़ाई हो सके। इस संबंध में और क्या किया जा सकता है, इसको लेकर विचान मंथन चल रहा है, रणनीति बनाई जा रही है।
महाराजपुर के स्कूलों का रहा मध्यम स्तर का प्रदर्शन
23 शासकीय हाईस्कूल व 14 हायर सेकंडरी स्कूल वाले महाराजपुर विधानसभा के शासकीय स्कूलों का प्रदर्सन मध्यम स्तर का रहा। हाईस्कूलों ने 66.2 प्रतिशत रिजल्ट के साथ जिले में दूसरे स्थान पर और हायरसेकंडरी में 75.6 प्रतिशत परिणाम लाकर तीसरे स्थान पर जगह बनाई है। विधायक नीरज दीक्षित का कहना है कि क्षेत्र के बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। लॉकडाउन के कारण बच्चों को सम्मानित नहीं किया जा सका है। लेकिन जल्द ही बच्चों का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। क्षेत्र के स्कूलों का शैक्षणिक स्तर बढ़ाने के लिए सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।
सुधार की नहीं है बन पाई कार्ययोजना
शासकीय स्कूलों के रिजल्ट में सुधार के लिए अभी तक कोई कार्ययोजना कोविड-19 को देखते हुए नहीं बनाई जा सकी है। स्कूलों के रिजल्ट में सुधार के लिए हर साल विशेषज्ञ शिक्षकों का दल बनाया जाता था, जो जिलेभर के स्कूलों में गुणवत्ता सुधार के लिए जाकर बारी-बारी से अध्ययन कराते और स्थानीय शिक्षकों को गुणवत्ता सुधार के लिए आवश्यक निर्देश देते थे। लेकिन इस बार क्लासें शुरु नहीं होने से ये व्यवस्था भी नहीं बन पाई है। कोरोना संकटकाल में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरे, इसको लेकर न तो राज्य न ही जिला स्तर पर अभी कोई कार्ययोजना बन पाई है।

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