नौगांव तहसील का बिलहरी गांव विशिष्ट ग्राम की श्रेणी में दर्ज है। कलेक्टर की गाइड लाइन की कंडिका 4 में साफ तौर पर उल्लेखित है कि एनएचआई अधिग्रहण करती है तो सरकारी मूल्य से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन इस गांव में सरकारी मूल्य के हिसाब से भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। बिलहरी मौजा के खसरा क्रमांक 762/2/2 के रकवा 30 आरे का मुआवजा नंदलाल अहिरवार को 12लाख 22 हजार 524 रुपए दिया गया। जबकि इस जमीन के आधे हिस्से के मालिक उसके ही भाई के खसरा क्रमांक 762/2/1 रकवा 40 आरे का मुआवजा राजू अहिरवार को मात्र 38 हजार 675 रूपए पारित किया गया। जिसकी जमीन कम है उसे अधिक मुआवजा और जिस भाई की जमीन अधिक है उसे हजारों में मुआवजा दे दिया गया। राजू अहिरवार ने अपनी जमीन का सरकारी मूल्य जानने के लिए दस्तावेजों की सत्य प्रतिलिपि निकाली तो पंजीयन एवं स्टांप विभाग द्धारा अधिग्रहित 40 आरे का सरकारी मूल्य 16 लाख रुपए से अधिक का बताया है। इसी तरह सुशीला देवी की 40 आरे जमीन की कीमत सरकारी मूल्य के हिसाब से करीब 8 लाख होती है। जबकि उन्हें मात्र 73 हजार 791 रुपए मुआवजा दिया जाना पारित हुआ। सैकड़ों किसान अपनी जमीन खोने के बाद उचित मुआवजा नहीं मिलने से कमिश्नर न्यायालय में अपील भी कर चुके हंै। जो विचाराधीन है लेकिन सड़क का काम जबरदस्ती शुरू कर दिया गया है। इस हालात में किसानो का जीवन आत्महत्या करने जैसे हो चुका है। छतरपुर और टीकमगढ के करीब 5 हजार किसान मुआवजा गफ लत का शिकार है। जिनकी जमीन भी चली गई और मुआवजे के नाम पर टुकड़े बांट दिए गए।
हरीश पिता प्रेमनाराण श्रीवास्तव निवासी चौबे कॉलोनी की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/३/क में से १६० आरे का अधिग्रहण किया गया, लेकिन अब मना किया जा रहा है।
विनोद पिता शिवदयाल श्रीवास्तव की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/२/क/१ और संजय पिता प्रेमनारायण श्रीवास्तव के खसरा नंबर २९५३/२/क/२में से ७८ आरे जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अब विभाग ने मना कर दिया।
पल्टू पिता परदवा अहिरवार निवासी बसारी की जमीन के खसरा नंबर २९५३/२/क/३ में से २० आरे जमीन अधिग्रहित की गई थी।
नोनेलाल पिता अवधलाल कुर्मी निवासी बसारी की जमीन खसरा क्रमांक २७६१/३/क/१ में से ९० आरे जमीन ली गई।
धर्मा पिता परसदवा अहिरवार निवासी बसारी की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/२/क/१ में से ९० आरे जमीन अधिग्रहित की गई। लेकिन विभाग इन्हें भी इनकार कर रहा है। डेढ़ साल तक इन किसानों को मुआवजा का इंतजार कराया गया, लेकिन बाद में उन्हें जमीन वापस लेने कह दिया गया।
जे बालाचंद्रन, प्रोजेक्ट मैनेजर एनएएचआई