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छतरपुर

किसानों के खेत में बना दी सड़क मुआवजा देने से कर दिया इनकार

झांसी-खजुराहो फोरलेन निर्माण का मामला

छतरपुरOct 12, 2019 / 02:06 am

हामिद खान

किसानों के खेत में बना दी सड़क मुआवजा देने से कर दिया इनकार

किसानों के खेत में बना दी सड़क मुआवजा देने से कर दिया इनकार


छतरपुर. खजुराहो से झांसी तक के नेशनल हाइवे ७५-७६ पर बन रहे फोर लेन सड़क मार्ग के निर्माण की प्रक्रिया मनमानी के कारण विवादों में ही चल रही है। फोरलेन सड़क बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया और मुआवजा वितरण पर सवाल उठ रहे हैं। किसी को करोड़ों और लाखों तो किसी को हजारों रुपए का मुआवजा देकर खानापूर्ति कर दी। वहीं विभाग ने कई किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद भी मुआवजा नहीं दिया। जिन्हें दिया है तो उन्हें निर्धारित से कम है। डेढ़ दर्जन किसानों की अधिग्रहीत की गई जमीन को अब लेने से इनकार कर दिया है। एक किसान की जमीन से तो सड़क बनाकर निकाल दी और अब उसकी लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद भी उसे जमीन वापस नहीं की जा रही है। यह मामला उच्च स्तर पर पहुंचने से अब इसमें राजनैतिक दखल भी शुरू हो गया है। १३ अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के सांसदों की एक टीम इस मामले की जांच के लिए छतरपुर भी आ रही है।
दो बार राजपत्र में प्रकाशन के बाद बदले सुर: नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने झांसी-खजुराहो फोर लेन निर्माण के लिए जमीन के अधिग्रहण के लिए दो बार नोटिफिकेशन जारी किया। इस दायरे बसारी क्षेत्र में स्थित डेढ़ दर्जन से ज्यादा किसानों की जमीन आ रही थी। पहली बार भारत के राजपत्र में मंगलवार 9 अगस्त 2016 में जमीन अधिग्रहण के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित हुई। इसके बाद दूसरी बार बुधवार 10 मई 2017 को राजपत्र में इसी का प्रकाशन हुआ। गजट नोटिफिकेशन होने से किसान आश्वस्त हो गए कि उनकी जमीन फोर लेन सड़क बनाने के लिए उपयोग होनी है। लिहाजा उन्हें मुआवजा मिलेगा। इस पर सभी ने निर्माण कार्य के लिए सहमति दे दी। एनएच के अधिकारियों ने बसारी निवासी महादेव पिता दुर्जन अहीर की ंिसंचित जमीन खसरा क्रमांक २९५५/१/१ में से ४०० आरे जमीन अधिग्रहित करके उस पर सड़क बना डाली। इस जमीन पर लगे पेड़ काटकर हटा दिए। अचानक से बीच में काम रोक दिया गया। बमीठा के पास पन्ना रोड पर रेलवे फाटक के ठीक पहले से एनएच के अधिकारियों ने मार्ग घुमा दिया और जंगल के रास्ते से आगे तक ले जाकर रेलवे पुल के बाद मुख्य सड़क से जोडऩे का नया प्लान बना लिया। किसान महादेव यादव की पूरी जमीन को खुर्द-बुर्द करके सड़क बना दी गई जिसका उपयोग डेढ़ साल से हो रहा है। अब उनसे कहा जा रहा है कि जमीन की जरूरत नहीं है।
मुआवजा वितरण में ऐसा हुआ भेदभाव :
नौगांव तहसील का बिलहरी गांव विशिष्ट ग्राम की श्रेणी में दर्ज है। कलेक्टर की गाइड लाइन की कंडिका 4 में साफ तौर पर उल्लेखित है कि एनएचआई अधिग्रहण करती है तो सरकारी मूल्य से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन इस गांव में सरकारी मूल्य के हिसाब से भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। बिलहरी मौजा के खसरा क्रमांक 762/2/2 के रकवा 30 आरे का मुआवजा नंदलाल अहिरवार को 12लाख 22 हजार 524 रुपए दिया गया। जबकि इस जमीन के आधे हिस्से के मालिक उसके ही भाई के खसरा क्रमांक 762/2/1 रकवा 40 आरे का मुआवजा राजू अहिरवार को मात्र 38 हजार 675 रूपए पारित किया गया। जिसकी जमीन कम है उसे अधिक मुआवजा और जिस भाई की जमीन अधिक है उसे हजारों में मुआवजा दे दिया गया। राजू अहिरवार ने अपनी जमीन का सरकारी मूल्य जानने के लिए दस्तावेजों की सत्य प्रतिलिपि निकाली तो पंजीयन एवं स्टांप विभाग द्धारा अधिग्रहित 40 आरे का सरकारी मूल्य 16 लाख रुपए से अधिक का बताया है। इसी तरह सुशीला देवी की 40 आरे जमीन की कीमत सरकारी मूल्य के हिसाब से करीब 8 लाख होती है। जबकि उन्हें मात्र 73 हजार 791 रुपए मुआवजा दिया जाना पारित हुआ। सैकड़ों किसान अपनी जमीन खोने के बाद उचित मुआवजा नहीं मिलने से कमिश्नर न्यायालय में अपील भी कर चुके हंै। जो विचाराधीन है लेकिन सड़क का काम जबरदस्ती शुरू कर दिया गया है। इस हालात में किसानो का जीवन आत्महत्या करने जैसे हो चुका है। छतरपुर और टीकमगढ के करीब 5 हजार किसान मुआवजा गफ लत का शिकार है। जिनकी जमीन भी चली गई और मुआवजे के नाम पर टुकड़े बांट दिए गए।
पहले की अधिग्रहीत फिर लेने से किया इनकार
हरीश पिता प्रेमनाराण श्रीवास्तव निवासी चौबे कॉलोनी की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/३/क में से १६० आरे का अधिग्रहण किया गया, लेकिन अब मना किया जा रहा है।
विनोद पिता शिवदयाल श्रीवास्तव की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/२/क/१ और संजय पिता प्रेमनारायण श्रीवास्तव के खसरा नंबर २९५३/२/क/२में से ७८ आरे जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अब विभाग ने मना कर दिया।
पल्टू पिता परदवा अहिरवार निवासी बसारी की जमीन के खसरा नंबर २९५३/२/क/३ में से २० आरे जमीन अधिग्रहित की गई थी।
नोनेलाल पिता अवधलाल कुर्मी निवासी बसारी की जमीन खसरा क्रमांक २७६१/३/क/१ में से ९० आरे जमीन ली गई।
धर्मा पिता परसदवा अहिरवार निवासी बसारी की जमीन खसरा क्रमांक २९५३/२/क/१ में से ९० आरे जमीन अधिग्रहित की गई। लेकिन विभाग इन्हें भी इनकार कर रहा है। डेढ़ साल तक इन किसानों को मुआवजा का इंतजार कराया गया, लेकिन बाद में उन्हें जमीन वापस लेने कह दिया गया।
मुआवजा वितरण में पूरी पारदर्शिता रखी गई है। कुछ लोगों को दिक्कत है, लेकिन वे कोर्ट चले गए हैं। कोर्ट में मामला होने के कारण अभी इस मामले में विभागीय स्तर पर कुछ भी नहीं हो सकता है। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे।
जे बालाचंद्रन, प्रोजेक्ट मैनेजर एनएएचआई

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