बड4 फ्ली से निपटने के लिए जिम्मेदार पशु चिकित्सा विभाग ही बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है। उप संचालक ने जिनकों जिम्मेदारी दी, वे मौके पर गए नहीं। न ही उप संचालक ने फॉलो किया कि, टीम एक्शन में आई या नहीं। वहीं नोडल अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आए। बीमारी की शुरूआत में विभाग गंभीरता नहीं दिखा रहा है। जिससे हरपालपुर के लोगों में दहशत का माहौल बन रहा है। जबकि प्रशासन के पास टीम, संसाधन उपलब्ध हैं। ऐसे में समय रहते एक्शन लेकर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। लेकिन लापरवाही की जा रही है। जिले में अब तक 22 से ज्यादा पक्षियों की अकाल मौत के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन अबतक केवल 6 सैंपल ही भेजे गए हैं। सैंपल लेने से लेकर रोकथाम के उपाय करने तक विभाग की लापरवाही सामने आ रही है।
बछौन के बस स्टैंड में एक कौआ मृत अवस्था में पड़ा था। ग्रामीणों की सूचना पर पशु चिकित्सा विभाग ने एक दल भिजवाकर पशु मृत कौआ को गड्ढा खुदवाकर दफन करवा दिया है। पशु चिकित्सक ने बताया कि कुछ दिन पहले राजापुर गांव में भी एक कौआ मृत मिला था जिसकी जांच कराने के लिए भोपाल सैंपल भेजा गया था।
बर्ड फ्लू या एवियन इनफ्लुएंजा एक जूनोटिक बीमारी है अर्थात जानवरों में बहुतायत में पाई जाती है। कभी-कभी इसका संक्रमण इंसानों में भी देखने को मिलता है। यह इनफ्लुएंजा वायरस का एक प्रकार है, जो पक्षियों में एक से दूसरे में हवा के जरिए फैलता है। संक्रमण की वजह से प्रभावित पक्षियों की नाक, गले और सांस नली में सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है और इससे उनकी मौत हो जाती है। कौआ, मुर्गी, प्रवासी पक्षी आदि इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जब कोई पक्षी या पक्षियों का समूह एवियन इनफ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से ग्रस्त होता है तो उनके संपर्क में आने वाले इंसान तक यह वायरस पहुंच सकता है और उन्हें भी बीमार कर सकता है। वायरस में म्यूटेशन की वजह से कभी-कभार ऐसा भी हो सकता है कि पक्षियों में फैलने वाले वायरस में इंसानों में फैलने की क्षमता विकसित हो जाए। बीमारी जितनी तेजी से पक्षियों में फैलती है, वायरस में म्यूटेशन भी उतनी ही तेजी से होता है।
किसी तरह से पक्षियों के संपर्क में आने पर यदि सर्दी, खांसी, बुखार, गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर को दिखाएं। चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवा नहीं खानी चाहिए। यदि संक्रमण है तो पूरी तरह से चिकित्सकीय दिशा निर्देशों को अपनाएं। जिस जगह पर पक्षी मरे मिले हों वहां सेनेटाइजेशन किया जाना चाहिए। शहर और गांव के लोगों को इस तरह से जागरूक किया जाना चाहिए कि वह पूरी सतर्कता बरतें। पक्षी मरे मिलें तो कंट्रोल रूम को सूचित करें। संक्रमण को रोकने के लिए पोल्ट्री फार्म में एक भी मुर्गा-मुर्गी इससे संक्रमित मिलते हैं तो वहां के साथ ही आसपास के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पोल्ट्री फार्म में मुर्गे-मुॢगयों को मार दिया जाता है।
रेपिड रिस्पांस टीम को आज हरपालपुर आना था। टीम द्वारा ही सैंपल लिए जाने हैं। बीमारी नियंत्रण के लिए दवा छिड़काव भी किया जाना है। लेकिन पांच बजे तक टीम नहीं आई है, हम टीम का इंतजार कर रहे हैं।
डॉ. मेघ आर्य, पशु चिकित्सक, हरपालपुर
डॉ. आत्माराम सोनी, नोडल अधिकारी
डॉ. विमल तिवारी, उपसंचालक,पशु चिकित्सा