
पंजीयन ऑफिस छतरपुर
छतरपुर. संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर जिले में लागू हो गया है। पंजीयन विभाग ने संपदा - टू सॉफ्टवेयर का ट्रायलकरने के बाद नए सिस्टम को लागू कर दिया है। अब रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए है। संपदा 2.0 से नए वित्तीय वर्ष में जहां एक क्लिक पर प्रॉपर्टी की जानकारी मिलने के साथ रजिस्ट्रियां सुरक्षित एवं पारदर्शिता के साथ होगी। इसके अस्तित्व में आने के बाद रजिस्ट्री में गवाहों की झंझट से आम लोगों को छुटकारा मिलेगा। पंजीयन विभाग के अफसरों का कहना है कि संपदा 2.0 से बेनामी संपत्ति पर भी अंकुश लगेगा। अब संपदा -2 के आधार पर वित्तीय वर्ष 2024-25 की कलक्टर प्रॉपर्टी गाइडलाइनभी लागू की गई है।
नए सॉफ्टवेयर से लोगों को कई फायदे मिलेंगे। अब भवन अथवा भूखंड की रजिस्ट्री कराते समय ही रेवेन्यू केस मानीटरिंग सिस्टम (आरसीएमएस) के जरिए भवन अथवा भूखंड स्वामी का नामांतरण फार्म भी भर दिया जा रहा है। इसके बाद यह नामांतरण फार्म सीधे साइबर तहसील कार्यालय में चला जाएगा। वहां से संबंधित व्यक्ति को बिना अलग से आवेदन किए ही 10 दिनों में नामांतरण पत्र मिल जाएगा। इस वर्जन में खास बात यह है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपने पूरे रकबे की रजिस्ट्री कराई है तो तहसील में जाकर अलग से नामांतरण प्रक्रिया पूरी नहीं करनी पड़ेगी। पुरानी रजिस्ट्री के मामलों में नामांतरण को लेकर पहले जैसी प्रक्रिया जारी रहेगी।
रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री की प्रक्रिया के समय ही अब संबंधित भवन, भूखंड स्वामी के नामांतरण का आवेदन फार्म भरा जाएगा। इसमें आवेदक का नाम, उसका पूरा पता, मोबाइल नंबर, प्रापर्टी की अपडेट जानकारी दर्ज की जाएगी। इसके बाद रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होते ही आटोमैटिक वह नामांतरण फार्म साइबर तहसील कार्यालय में पहुंच जाएगा। नए साल में आर सीएमएस से मिलेगी नामांतरण सुविधा, तहसील से संपदा 2.0 के अपडेट वर्जन में लोगों को आरसीएमएस के जरिए नामांतरण की सुविधा प्रदान की जाएगी। रजिस्ट्री करते समय ही नामांतरण फार्म भी भरवा लिया जाएगा।
साइबर तहसील के लिए चार प्लेटफॉर्म निर्धारित किए गए है। इस संपदा पोर्टल, भू-अभिलेख, स्मार्ट अप्लीकेशन फॉर रेवेन्यू (सारा), रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) को जोड़ा गया है। ऐसी जमीन जो बंधक या फिर गिरवी रखी गई है, इनकी जानकारी भी साइबर तहसील में तत्काल ट्रेस हो जाएगी। जिला पंजीयक का कहना है कि रजिस्ट्री के बाद प्रकरण साइबर तहसील को भेजा जा रहा है। इसके आधार स्वत: आरसीएमएस में केस दर्ज हो जाएगा। इसके आधार पर तहसीलदार द्वारा जांच कर सूचना के बाद इश्तेहार और पटवारी रिपोर्ट के लिए मेमो जारी किया जाएगा। यदि ऐसे में 10 दिन के अंदर दावा-आपत्ति प्राप्त नहीं होते है तो रियल टाइम के बाद क्रेता को ईमेल और वाट्सअप पर नामांतरण की कॉपी ऑनलाइन भेजी जाएगी।
रजिस्ट्री होने के बाद साइबर तहसील को क्रेता और विक्रेता की ऑनलाइन डिटेल भेजी जा रही है। साइबर तहसील में डिटेल रिसीव होने के साथ ही आरसीएमएस प्रकरण खुद ही दर्ज हो जाएगा। इसके आधार पर नामांतरण की प्रक्रिया होगी।
जीपी सिंह, जिला पंजीयक, छतरपुर
Published on:
08 Jun 2024 11:18 am
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