![अपनो की तरह करते हैं बुजुर्गो की सेवा](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2023/12/12/chp121223-72_8632220-m.jpg)
संजय सिंह के जीवन का संघर्ष जानकर लोग सिहर उठते हैं। उनके पिता वायुसेना में थे। 1998 से 2000 के बीच का समय उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था। संजय बताते हैं कि उस समय रोजागर नहीं था। दो से तीन दिन तक भोजन भी नसीब नहीं होता था। नौकरी की तलाश में वे हर दिन मीलों पैदल घूमते थे। उस दौरान फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को करीब से देखा। पेट की भूख ने उनकी तकलीफ का अहसास भी कराया। साल 2000 में उन्हें क्यूनोक्स सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिल गई तो वे 14 हजार रुपए मासिक सैलरी पर मुंबई में काम करने पहुंच गए। पूना से ही एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद वे अच्छे पैकेज पर नौकरी करने लगे। अपने बुरे दिनों से सबक लेकर संजय ने इस दौरान मुंबई में ही 15 परिवारों को गोद लिया और 2001 से 2003 तक निर्धन-असहाय परिवारों के बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनके इलाज, भोजन तक की व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद उठाई। 2014 में उन्होंने 40 लाख सालाना पैकेज की सरकारी नौकरी छोड़ी और पूरी तरह से गरीबों क सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। 1 सितंबर 2015 को छतरपुर में अपने ससुर रिटायर स्वास्थ्य निरीक्षक लोकपाल सिंह के ढड़ारी गांव स्थित खेत पर वृद्धाश्रम शुरू करके अपने सेवा कार्य को शुरू कर दिया। एक साल बाद ही पन्ना रोड पर उन्होंने एक भवन किराए से लेकर निर्वाणा फाउंडेशन की बुनियाद रखी। जहां दो दर्जन से अधिक असहाय, मानसिक विक्षिप्त व दिव्यांग जनों की सेवा करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुट गए। अब सागर रोड पर निर्वाणा का संचालन कर रहे हैं।
![असहाय बुजुर्ग महिला को सहारा दिया](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2023/12/12/chp121223-71_-_copy_8632220-m.jpg)
संजय सिंह ने दो साल तक अपनी कंपनी में पार्ट टाइम जॉब छतरपुर में रहकर किया। इसके बाद वे पूरे तरीके से समाजसेवा में लग गए। उनका सपना एक ऐसा घर बनाने की है जहां धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग, ऊंच-नीच का कोई भेद नहीं रहे। इसी सिस्टम पर वे अभी काम भी कर रहे हैं। उन्होंने 8 एकड़ जमीन बसारी के पास खरीदी है, जहां वे 300 लोगों के लिए ऐसा घर बनाएंगे जहां से असहाय बच्चों, महिलाएं, दिव्यांग आत्मनिर्भर और अच्छे इंसान बनकर समाज में निकलेंगे। वृद्धों को स्थाई घर यहीं पर देंगे, जहां से उन्हें जीवनभर रहने के साथ ही अंतिम समय में निर्वान तक की व्यवस्था होगी।
![बच्चों से भी उतना ही लगाव](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2023/12/12/chp121223-73_8632220-m.jpg)