गौरैया संरक्षण के लिए अभियान की शुरुआत, शहर में लगाएंगे 250 घोंसले
प्रोफेसरों, समाज सेवियों ने संरक्षण के लिए बनाई रणनीति20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस
छतरपुर। ओ री चिरैया, नन्ही-सी चिडिय़ा, अंगना में फि र आ जा रे…यह गाना उन नन्ही बालिकाओं पर केंद्रित है, जो हमारे घर-आंगन में गौरैया की तरह फु दकती-चहचहाती हैं। लेकिन जिन गौरैया को हम अपनी बेटियों के जैसे मानते हैं। आज वही पक्षी गौरैया विलुप्ति की कगार पर हैं। 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस है, इस अवसर पर खुशियों की प्रतीक गौरैया के संरक्षण की पहल की गई। गौरैया संरक्षण की दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए समाजसेवियों ने शहर में 250 घोसले लगाने की शुरुआत की है। इसके साथ ही प्राणी शा के प्रोफेसरों का एक सेमिनार आयोजित किया गया, ताकि गौरेया के संरक्षण के लिए किए जाने वाले अन्य प्रयासों की रुपरेखा बनाई जा सके।
पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी
20 मार्च को गौरैया दिवस के उपलक्ष्य में गौरैया संरक्षण के अभियान की शुरुआत की गई। अभियान के पहले चरण में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के प्राणी शा के प्रोफेसरों ने संरक्षण अभियान की जरुरत और तरीके को लेकर अपने-अपने विचार रखे। महाराजा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राजेश राजौरे ने बताया कि गौरैया का हमारे जीवन मे बड़ा महत्व है, इनके द्वारा पर्यावरण संतुलन बना रहता है। वृक्ष मित्र डॉ. राजेश अग्रवाल ने कहा कि, मानव जीवन के लिए प्रकृति से जुड़ाव जरूरी है। गौरैया के संरक्षण की पहल की उन्होंने सराहना की। प्रोफेसर डॉ. कुसुम कश्यप ने कहा कि पहले हमारे घरों की बनाबट ऐसी होती थी कि पक्षी हमारे बीच में ही रहते थे। घरों के वैंटीलेशन चिडिय़ों के लिए घरौंदा का काम करते थे, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं।
संगम सेवालय ने शुरु किया संरक्षण अभियान
संगम सेवालय के संचालक विपिन अवस्थी ने बताया कि बदलते पर्यावरण और मोबाइल रेडिएशन के कारण गौरैया की संख्या में 60 प्रतिशत कमी आई है और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो जल्द ही ये गायब हो जाएंगी, इसी को देखते हुए यह अभियान शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत 200 घोंसले संगम सेवालय द्वारा बनवाए गए हैं,जिनको सार्वजनिक स्थान पर लगाया जाएगा। वहीं, 50 घोंसला डॉ. राजेश अग्रवाल द्वारा प्रदान कि ए जाएंगे। कार्यक्रम में महाराजा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. जीपी राजौरे, वृक्ष मित्र डॉ. राजेश अग्रवाल, प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. एचएन खरे, प्रोफेसर डॉ. कुसुम कश्यप उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अंजू अवस्थी ने किया, इस अवसर पर कमल अग्रवाल, राजेन्द्र अग्रवाल, शंकर सोनी, स्मिता जैन, नीलम पांडेय, नीरज दीक्षित, अमरीश मिश्रा, सौरभ तिवारी, नेहा तिवारी, प्रेरणा राय आदि उपस्थित रहे।
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