हरपालपुर नगर में स्थित विपरण संघ के गोदाम में 28 टन यूरिया स्टॉक में हैं। गोदाम प्रभारी सूर्यप्रताप चंदेल ने बताया कि 1 सितंबर को 1400 मीट्रिक टन एनएफएल यूरिया की रैंक हरपालपुर आई थी। लेकिन शासकीय गोदाम से की गई 400 मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड के बदले केवल 100 टन यूरिया ही मिला। बाकी 1300 मीट्रिक टन प्राइवेट सेक्टर को दे दिया गया। जबकि शासन के नियम के अनुसार 1000 मीट्रिक टन शासकीय और 400 मीट्रिक टन प्राइवेट सेक्टर को दिया जाना चाहिए था। रैक से मिले 100 मीट्रिक टन यूरिया को हरपालपुर विपरण संघ गोदाम के अंतगर्त 9 सहकारी समितियों रानीपुरा, भदर्रा,अलीपुरा, बड़ागांव,नौगांव,गर्रोली,लुगासी,मऊसहानिया समितियों में भेजा गया है। सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में यूरिया स्टॉक में नहीं हैं। रानीपुरा सहकारी समिति में 28 टन, अलीपुरा में 7 टन, नौगांव 19 टन, लहेरापुरा में 3 टन, गर्रोली में 19 टन, बड़ागांव में 6 टन यूरिया का भंडारण है। जबकि शासन के निर्देशानुसार सोसायटियों में कम से कम 72 टन अग्रिम स्टाक रखा जाना चाहिए। ऐसे में खाद का कृत्रिम संकट खड़ा हो रहा है। जिसका फायदा निजी सेक्टर के विक्रेता उठा रहे हैं।
मडोऱी गांव के किसान माधव यादव का कहना है कि निजी विक्रेता 340-50 रुपए में एक बोरी यूरिया बेच रहे हैं। वहीं चपरन के मनी कुशवाहा ने बताया कि यूरिया के लिए 350 रुपए प्रतिबोरी दाम चुकाना पड़ रहे हैं। इमलिया के किसान दीपचंद्र राजपूत का कहना है कि सरकारी रेट 266.50 रुपए प्रति बोरी पर यूरिया न मिलने से किसानों को निजी विक्रेताओं से खरीद करना पड़ रही है। जो अलग-अलग जगह 340 से 400 रुपए तक वसूल रहे हैं। काकुनपुरा के किसान लाखन सिंह ने बताया कि रबी की फसल के लिए किसान यूरिया का अग्रिम भंडारण करना चाह रहे हैं, लेकिन बाजार में दाम ज्यादा होने से खरीद नहीं पा रहे हैं। खरीफ की फसल में हुए नुकसान के कारण किसान रबी की फसल में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। लेकिन यूरिया को लेकर परेशानी खड़ी हो रही है, जिससे किसान चिंतित हैं।
रैक प्वॉइंट पर ही मिल रही महंगी यूरिया
निजी विक्रेताओं ने बताया कि निजी सेक्टर में आ रही यूरिया रैक प्वॉइंट पर ही महंगी मिल रही है। सरकारी दाम 266.50 रुपए है, जबकि रैक प्वॉइंट पर ही दुकानदारों को 325 रुपए की बोरी दी जा रही है। ऐसे में दुकानदार 340-50 तक में बेच रहे हैं। रैक प्वॉइंट पर यूरिया 255 रुपए की मिलनी चाहिए, तभी किसानों को सरकारी दाम पर यूरिया का विक्रय किया जा सकता है।