वर्क फॉम होम से बचेगा ऑफिस का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारियों के फ्यूल की भी होगी बचत
किराए के भवन में चल रहे रोजगार कार्यालय व नापतौल विभाग में वर्क फ्रॉम होम होने से शासन का बचेगा खर्चऑफिस न जाने पर कर्मचारियों को पेट्रोल पर होने वाले खर्च की होगी बचत, दफ्तर जाने की आपाधापी से मिलेगी राहत
छतरपुर। लॉकडाउन 1.0 और 2.0 के दौरान शासन के निर्देश पर सभी विभागों के 50 फीसदी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट पर काम करते रहे हैं। छतरपुर जिले में संचालित जिला रोजगार कार्यालय एवं नापतौल विभाग में वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट को अपनाया जा सकता है। इससे निजी भवनों में लगने वाले इन दोनों दफ्तारों का ऑफिस किराया, बिजली का बिल, साफ-सफाई, मैंटनेंस जैसे खर्च को बचाया जा सकता है। इसके साथ ही ऑफिस आने-जाने में कर्मचारियों की जेब से लगने वाले पेट्रोल के खर्च की भी बचत की जा सकती है। शासन का खर्च बचने के साथ ही कर्मचारियों को भी फ्यूल खर्च की बचत होगी। इसके साथ ही ऑफिस जाने-आने का समय बचने से कर्मचारियों को आपाधापी से राहत मिलेगी।
जिला रोजगार कार्यालय में वर्क फ्रॉम होम से होगी इतनी बचत
जिला रोजगार कार्यालय करीब 1200 वर्ग फीट के किराए के भवन में संचालित हैं। इस दफ्तर में ऑनलाइन रोजगार पंजीयन, पत्राचार और रोजगार शिविर लगाने जैसे कार्य किए जाते हैं। ऑफिस भवन का महीने का किराया 9400 रुपए, बिजली का बिल 300 से 400 रुपए और सालाना आकस्मिक व्यय 2000 रुपए खर्च होता है। जिला रोजगार कार्यालय में एक अधिकारी और 4 कर्मचारी कार्यरत हैं। सहायक ग्रेड 2 के तीन और सहायक ग्रेड 3 का एक कर्मचारी कार्यरत हैं। रोजगार कार्यालय में वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट पर काम किया जाए तो 30 फीसदी कर्मचारी यानि लिपिक वर्ग के 2 कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर सक ते हैं। ये दोनों कर्मचारी रोजगार पंजीयन, शासकीय पत्राचार जैसे कार्य घर बैठे कर सकते हैं। कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे तो दफ्तर का साइज 1200 वर्ग फीट से घटाकर 800 से 1000 वर्ग फीट किया जा सकता है। इससे किराए में हर महीनें करीब 2500 से 3000 रुपए की बचत होगी। इस तरह से साल में 30 हजार से लेकर 36 हजार रुपए तक की बचत हो सकती है। इसके साथ ही दो बिजली बिल 300 से 400 रुपए महीने से घटकर हर महीने 50 से 100 रुपए की बचत की जा सकती है। जो साल भर में 600 से 1200 रुपए होगा। इसके साथ ही कर्मचारी द्वारा पेट्रोल पर खर्च हो रहे हर महीने के 800 से 1000 रुपए की बचत होगी। कर्मचारी को सालभर में 10 से 12 हजार रुपए की बचत होने से कर्मचारी की आय बढ़ेगी। जिला रोजगार अधिकारी एसके जैन का कहना है कि लिपकीय कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराया जा सकता है। लेकिन शिविर के समय सभी को फील्ड जाना पड़ेगा।
नापतौल विभाग में वर्क फ्रॉम होम से बचाया जा सकता है दफ्तर का पूरा खर्च
नापतौल विभाग जिले में नापतौल के लिए इस्तेमाल हो रही इकाइयों की जांच, सत्यापन जैसे कार्य करता है। किराए के 839 वर्गफीट भवन में संचालित इस कार्यालय का हर महीने 7988 रुपए किराया लगता है। बिजली का बिल हर महीने 500 रुपए करीब आता है। दफ्तर में नापतौल इंस्पेक्ट, एक सहायक ग्रेड-3 और एक श्रम सहायक कार्यरत हैं। सालभर में मैंटनेस,स्टेशनरी जैसे कार्यो पर 3 हजार रुपए का खर्च आता है। एक अधिकारी और दो कर्मचारी वाले इस दफ्तर को पूरी तरह से वर्क फ्रॉम होम किया जा सकता है। इससे एक साल में किराए के रुप में खर्च होने वाले 96000 रुपए, बिजली बिल के 6 हजार , मैंटनेंस खतर्च 3000 रुपए की शासन को बचत होगी। ऑफिस से ऑनलाइन वर्क करने से स्टेशनरी का खर्च भी बचेगा। इसके साथ ही कर्मचारी द्वारा पेट्रोल पर खर्च किए जा रहे हर महीने 600 से 800 रुपए की बचत होगी। इससे कर्मचारी को 7 हजार से 9 हजार रुपए हर साल बचेंगे। नापतौल निरीक्षक अर्चना मिश्रा ने बताया कि उनके दफ्तर में कर्मचारी कम हैं। फील्ड में निरीक्षण का कार्य छोड़कर बाकी सभी तरह के काम के लिए वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट पर काम कराया जा सकता है। विभागीय पत्राचार, प्रकरण की फाइल तैयार करना जैसे कार्य वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट होने पर भी कराए जा सकते हैं।
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