बस ऑपरेटर और उनमें काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी बीते 4 माह से बुरे दौर का सामना कर रहे हैं। बस नहीं चल रही जिसके कारण चालक और परिचालक सहित अन्य कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं। तो दूसरी तरफ बस मालिकों के पास किस्त जमा करने के लिए राशि नहीं है। बहुत काम ऑपरेटर ही अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में परमिट के लिए आवेदन कर रहे। जिले के कुछ ब्लॉक के लिए एक दो बसें चल रही है, उनमें भी क्षमता से कम यात्री बैठ रहे हैं। बमुश्किल डीजल और कर्मचारियों का खर्च निकाल पा रहे। बीते साल मार्च माह में भी इसी तरह के हालात बने थे जिसके बाद सरकार ने टैक्स माफी की राहत दी थी। इस बार भी विभिन्न बस एसोसिएशन टैक्स माफी सहित अन्य मांगों को मनवाने पर अड़े हैं जिसके बाद बस चालने की बात कह रहे। हालांकि अभी तक सरकार और बस ऑपरेटरों के बीच किसी प्रकार का समझौता नहीं हुआ है, इसके कारण भी परिवहन विभाग के पास बहुत कम संख्या में परमिट के लिए आवेदन पहुंच रहे हैं।
केवल बीस आवेदन आए
अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सुनील कुमार शुक्ला ने बताया कि जिले के अंदर सौंसर, चौरई और अमरवाड़ा के लिए एक दो बसें संचालित हो रही है। वर्तमान में 20 बसें संचालित करने के लिए आवेदन किया है, जिन्हें जल्द ही परमिट जारी किया जाएगा। जिले के भीतर कुल 250 बसें संचालित होती है। यानी अभी भी 230 बसों को संचालित करने के लिए परमिट नहीं मांगा गया है।
नीति में किया जाए सुधार
मप्र में बसों के (के) फार्म वाहन संचालन की सूचना को अन्य प्रदेशों की नीति जैसी सुविधा अनुसार (के) फार्म लागू करने की नीति में सुधार किया जाए। मप्र में यात्री बसों के अनुज्ञा पत्र, अग्रिम कर जमा किए जाते हैं, जो कि अन्य राज्यों की नीति अनुसार वाहन संचालन के बाद में लिए जाते हैं। अग्रिम टैक्स नीति में सुधार किया जाए।
-रोमी राय, अध्यक्ष, बस एसोसिएशन, छिंदवाड़ा