रायचंद भाई शाह पहले सांसद
1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव में रायचंद भाई शाह को छिंदवाड़ा का पहला सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। कांग्रेस के रायचंद भाई ने निर्दलीय पन्नालाल भार्गव को हराकर पहला चुनाव जीता। इस चुनाव में सिर्फ तीन उम्मीदवार मैदान में थे। इस पहले चुनाव में मतदान का प्रतिशत भी बेहद कम रहा। सिर्फ 34.51 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया। रायचंद भाई सिर्फ एक ही बार सांसद रहे। अगले चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। 1957 में नारायण राव वाडिवा संसद चुने गए। वे भी एक ही बार सांसद रहे। 1996 में अलकानाथ कांग्रेस के टिकट पर जीती तो 1997 में भारतीय जनता पार्टी के सुंदरलाल पटवा भी यहां सांसद का चुनाव जीते हैं।
नौ चुनाव जीतकर कमलनाथ सबसे आगे
छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर 1980 में कमलनाथ के उम्मीदवार बनने और उनके जीतने के बाद यह सीट उनका पर्याय बन गई। 1980 के बाद लगातार चार चुनाव वे जीते और संसद में जिले का प्रतिनिधित्व किया। 96 से 98 के बीच के एक देढ़ वर्ष को छोड़ दें तो उसके बाद फिर से जीते
और तब से अब तक उन्हें यहां से कोई हरा नहीं पाया। वे 1980, 1984, 1989, 1991 के बाद 1998, 1999, 2004, 2009, और 2014 में सांसद चुनाव जीतकर एक रेकॉर्ड बना चुके हैं। हालांकि इस बार उनकी जीत का क्रम टूट जाएगा। क्योंकि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं और छिंदवाड़ा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
गार्गीशंकर भी तीन बार रहे सांसद
60-70 के दशक तक छिंदवाड़ा महाराष्ट्र की राजनीति के ज्यादा करीब था। विदर्भ क्षेत्र की राजनीति से जुड़े होने के कारण छिंदवाड़ा में वहां के नेताओं का भी वर्चस्व था। गार्गीशंकर मिश्रा नागपुर के ही थे। वे 1967, 1971 और 1977 में लगातार तीन संसदीय चुनाव जीते। इसके अलावा भीकूलाल लक्ष्मीचंद 1957 और 1962 में दो बार जिले से सांसद रहे चुके हैं।