निजी घरों में पलने वाले डॉग को तो इंजेक्शन पशु चिकित्सालय या निजी पेट्स क्लीनिकों में लग जाते हैं लेकिन आवारा श्वानों को लगवाने के लिए कोई पहल नहीं जा रही है। इससे ये आवारा श्वान आक्रामक होकर सीधे काटते हैं तो मानव शरीर पर तुरंत रैबीज असर करने लगता है। प्रशासन से आवारा श्वानों को रैबीज इंजेक्शन लगवाने का अभियान चलाने की अपेक्षा की जा रही है।
नगर निगम द्वारा तीन साल पहले आवारा श्वानों की आबादी को कंट्रोल करने के लिए एबीसी कार्यक्रम चलाया था। इसकी निजी एजेंसी को करीब 20 लाख रुपए का भुगतान न होने से ये कार्यक्रम बंद हो गया। इस कार्यक्रम में श्वानों की नसबंदी की जाती थी। इससे उनकी आबादी रुकती और वे आक्रामक भी नहीं होते थे। अब उनकी तादाद दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है।
-डॉ. दिनेश ठाकुर, मेडिकल ऑफीसर, जिला अस्पताल।
आवारा श्वानों को समय पर भोजन नहीं मिलता तो वे आक्रामक हो जाते हैं। यदि उनके मुंह में कहीं से कोई ब्लड लग जाए तो वे ऐसी घटनाएं करने लगते हैं। नगर निगम को पशु चिकित्सकों के साथ उन्हें इंजेक्शन लगवाने की पहल करना चाहिए।
-डॉ.एसजीएस पक्षवार, उपसंचालक पशु चिकित्सा