गिरोह करता है काम जांच टीम के सदस्य ने बताया कि तमिलनाड़ू के पास बसे त्रिची गांव में कई दशकों से लोग यही काम करते आ रहे हैं। यहां हर दूसरे घर में चोर मिल जाएगा। गांव के ही कुछ लोग टोली चलाते हैं। युवाओं को अलग-अलग शहरों में ले जाया जाता है। पैसे गिरने या अन्य झांसा देकर लोगों की बैग उड़ाई जाती है। काम करने वाले को 1 लाख रुपए पर 5000 रुपए इनाम दिया जाता है। बाकी उस शहर में रहने और खाने का खर्च टोली का मुखिया ही करता है। एक शहर में 2 से 3 सप्ताह बिताने के बाद गिरोह दूसरे शहर में चले जाता है। डीसीपी राकेश ओलाए एसीपी राजेंद्र बोरवाके और पीआई सीमा मेहेंदले के मार्गदर्शन में एपीआई रवि राजुलवार, कमलाकर गड्डिमे, कांस्टेबल वीरेंद्र गुलरांधे, सुरेश जाधव, सुशील रेवतकर, विनोद वड़स्कर,अश्विनी भोसले और रीता कुमरे ने कार्रवाई को अंजाम दिया।