विदेश तक पहुंचा सकते हैं कलात्मक वस्तुएं
विदेश तक पहुंचा सकते हैं कलात्मक वस्तुएं
छिंदवाड़ा. कौशल विकास प्रशिक्षण में १५ दिन तक मिट्टी की कलात्मक वस्तुएं बनाने का प्रशिक्षण लेने वाले कलाकारों को समापन के अवसर पर विधायक ने संबोधित किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मिट्टी से बनी कलात्मक वस्तुओं की मांग विदेश तक में है। प्रशिक्षण लेने वाले इनका निर्माण करें ताकि बाजार में इनकी अच्छी कीमत मिल सके। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता की वस्तु तैयार होती है तो बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है । सभी आर्थिक रूप से सक्षम बनें और आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार को समृद्ध करें। मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड भोपाल द्वारा इमलीखेड़ा चौक के पास स्थित सीआईआई के प्रांगण में कार्यक्रम के समापन समारोह रखा गया था। इस मौके पर मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड भोपाल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएम शर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
समापन समारोह में विधायक ने कहा कि उन्होंने कहा कि माटी कला के क्षेत्र में आर्थिक रूप से बहुत अच्छा भविष्य है । आप सभी इस कला से प्रशिक्षित होकर समृध्द बने और अपने भविष्य को खुशहाल बनायें । उन्होंने बोर्ड के माध्यम से अधिक से अधिक माटी कामगारों और शिल्पकारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए जिले के लक्ष्य और अनुदान राशि की मांग प्रस्तुत करने के लिए कहा।
रोजगार में सहयोग- सीईओ शर्मा ने कहा कि बोर्ड के द्वारा प्रदेश के माटी कामगारों और शिल्पियों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान के लिए उन्हें नवीन तकनीकी ज्ञान और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया जाता है । साथ ही बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादों से परिचय कराकर उन्हें स्व-रोजगार उपलब्ध कराने में सहयोग प्रदान किया जाता है ।
उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा वर्ष में एक बार मई अथवा जून माह में मेला आयोजित किया जाता है जिसमें माटी कामगारों और शिल्पकारों के उत्पादों से सभी को अवगत कराया जाता है। कौशल विकास केन्द्र के समन्वयक आतिश ठाकरे ने कहा कि बोर्ड के माध्यम से हितग्राही प्रशिक्षण का लाभ लें और स्वयं का रोजगार स्थापित करें। इससे जहां उन्हें रोजगार मिलेगा वहीं वे आत्म निर्भर होकर अपना विकास कर सकेंगे।
टेराकोटा का भी देंगे प्रशिक्षण- सहायक संचालक हाथ करघा संजय श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। उन्होंने बताया कि छिन्दवाड़ा के साथ ही छतरपुर, टीकमगढ़, जबलपुर, दतिया, भोपाल, राजगढ़, खंडवा, नरसिंहपुर और सीहोर के 37 माटी कामगारों को टेराकोटा उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया।
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