टिड्डी दल के आक्रमण से पहले किया जागरूक
कोरोना संक्रमणकाल में किसानों की बड़ी फिक्र अब टिड्डी दल है, जो तेजी से मप्र के कई जिलों में पहुंचा है।
छिंदवाड़ा/खैरवानी/हनोतिया /. कोरोना संक्रमणकाल में किसानों की बड़ी फिक्र अब टिड्डी दल है, जो तेजी से मप्र के कई जिलों में पहुंचा है। टिड्डी दल फसलों को चट कर रहा है। किसानों की ग्रीष्मकालीन फसल एवं पेड़-पौधों के नुकसान से बचाने के लिए टिड्डी दल पर जागरूकता के लिए जामई एवं तामिया ब्लॉक के 119 ग्रामों के 322 किसानों को, जनप्रतिनिधि सरपंच, सहायक सचिव, स्व-सहायता समूह के सदस्य एवं ग्राम लीडर्स को डिजिटल डायल आउट कॉल माध्यम से प्रशिक्ष्ण दिया गया। रिलायंस फाउंडेशन जामई कलस्टर के माध्यम से क्षेत्र के किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी क्रम में किसानों को टिड्डी दल से फसलों को बचने के उपाय एवं खरीफ मे फॉल आर्मी वर्म की रोकथाम पर कृषि विज्ञान केंद्र छिंदवाड़ा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सावरकर ने जानकारी दी। ब्लॉक समन्वयक देवेंद्र बर्डे, राजेंद्र प्रसाद, रोहित डहरिया, आरिफ खान का सहयोग रहा।
डॉ. सावलकर ने टिड्डी दल की उत्पत्ति स्थल, टिड्डी के जीवन चक्र तथा टिड्डी से फसल को बचाने का उपाय बताए, कभी सिर्फ अरब के रेगिस्तान में दिखने वाले टिड्डी दल अब ग्लोबल वार्मिंग से विकराल हो गए हैं। टिड्डी की उम्र 90 दिन होती है। टिड्डी एक दिन में अपने वजन के बराबर खाना खाती है। हवा में 5000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है। इसीलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि खेतों में सतत निगरानी रखें एवं टिड्डी दल के आगमन पर खेतों में तेज ध्वनि करें।
जैसे थालियां बजाकर, ढोल बजाकर, डीजे बजा कर, खाली टिन के डिब्बे बजाकर, पटाखे फोड़ कर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करके टिड्डी दल को आगे की तरफ उड़ाया जा सकता है। उसके बाद वर्तमान में किसानों के लिए विशेष समस्या के रूप इस क्षेत्र मे फॉल आर्मी वर्म की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही, उसके निदान भी डॉ सावलकर जी द्वारा बताया गया, एनआरएलएम से श्री देवेन्द्र बर्डे जी द्वारा समूह के माध्यम से ग्राम विकास के विभिन्न कार्य कैसे किया जा सकता है इस पर अपना विचार रखा गया।
नोट – समाचार के साथ फोटो संलग्न है।
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