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छिंदवाड़ा

प्रतिबंध के बाद भी खेतों में जल रही नरवाई

किसानों के व्यवहार से वातावरण में प्रदूषण: जमीन के पोषक तत्वों को अलग नुकसान

छिंदवाड़ाApr 12, 2019 / 01:02 am

prabha shankar

Ban on the National Green Tribunal

Ban on the National Green Tribunal

छिंदवाड़ा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रतिबंध के बावजूद खेतों में इस समय गेहूं की नरवाई जलाई जा रही है। इससे वातावरण में कार्बन डाइआक्साइड में वृद्धि से वायु प्रदूषण फैल रहा है। इसके साथ ही जमीन के पोषक तत्व नष्ट हो रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय ने एक बार फिर किसानों को अलर्ट जारी किया है।
बोर्ड के मुताबिक गेहूं फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष यानी नरवाई जिसे पराली भी कहा जाता है। इस समय पूरे जिले के ज्यादातर हिस्सों में किसानों द्वारा जलाए जाने की खबरें आ रहीं हंै। इससे लगातार आसपास के इलाकों में आग लग रही है। इसे बुझाने के लिए नगर निगम को फायर बिग्रेड भेजनी पड़ रही है। अप्रैल में ही अभी तक 20 से ज्यादा अग्नि घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। इससे सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
जमीन के बैक्टीरिया खत्म, उर्वरा शक्ति प्रभावित
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि नरवाई जलाने से जमीन में ऊपर पाए जाने मित्र जीव-केंचुआ, बैक्टीरिया और फफूंद आदि भी जल जाते हैं। भूमि की उर्वराशक्ति अलग प्रभावित होती है। जबकि ये अगली फसल के लिए जरूरी होते हैं। उनके अनुसार भूमि की ऊपरी सतह में स्थित सूक्ष्मजीवों द्वारा पोषक तत्वों को एक निश्चित वातावरण एवं प्रक्रिया के तहत बदला जाता है। खेतों में आग लगाने से सूक्ष्मजीवों की संख्या कम होती जाती है। इससे अगली फसलों में महत्वपूर्ण उर्वरकों की अधिक मात्रा खेतों में डालनी पड़ती है।
वायुमण्डल में आक्सीजन की कमी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी के अनुसार नरवाई जलाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। वायुमंडल और भूमि का तापमान बढ़ जाता है। ऑक्सीजन की कमी तथा कार्बन डाईआक्साइड जैसी गैसों की वृद्धि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती है। नरवाई जलाने से कम से कम 10 क्विंटल भूसा प्रति एकड़ नष्ट हो जाता है जिससे पशु चारे की भी कमी हो जाती है। इसके अलावा नरवाई जलाने से आग लगने की भी आशंका रहती है। आग के अन्य खेतों तक पहुंचने से जान-माल का भी खतरा बना रहता है।

एफआइआर दर्ज होना चाहिए
एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद खेतों में नरवाई जलाने से पर्यावरण और जमीन को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसा करने वाले किसानों पर एफआइआर दर्ज होना चाहिए। पंचायत स्तर पर सरपंच-सचिवों को इसे रोकने की पहल करना चाहिए।
सुनील श्रीवास्तव, क्षेत्रीय अधिकारी,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिंदवाड़ा।
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