जमीन के बैक्टीरिया खत्म, उर्वरा शक्ति प्रभावित
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि नरवाई जलाने से जमीन में ऊपर पाए जाने मित्र जीव-केंचुआ, बैक्टीरिया और फफूंद आदि भी जल जाते हैं। भूमि की उर्वराशक्ति अलग प्रभावित होती है। जबकि ये अगली फसल के लिए जरूरी होते हैं। उनके अनुसार भूमि की ऊपरी सतह में स्थित सूक्ष्मजीवों द्वारा पोषक तत्वों को एक निश्चित वातावरण एवं प्रक्रिया के तहत बदला जाता है। खेतों में आग लगाने से सूक्ष्मजीवों की संख्या कम होती जाती है। इससे अगली फसलों में महत्वपूर्ण उर्वरकों की अधिक मात्रा खेतों में डालनी पड़ती है।
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि नरवाई जलाने से जमीन में ऊपर पाए जाने मित्र जीव-केंचुआ, बैक्टीरिया और फफूंद आदि भी जल जाते हैं। भूमि की उर्वराशक्ति अलग प्रभावित होती है। जबकि ये अगली फसल के लिए जरूरी होते हैं। उनके अनुसार भूमि की ऊपरी सतह में स्थित सूक्ष्मजीवों द्वारा पोषक तत्वों को एक निश्चित वातावरण एवं प्रक्रिया के तहत बदला जाता है। खेतों में आग लगाने से सूक्ष्मजीवों की संख्या कम होती जाती है। इससे अगली फसलों में महत्वपूर्ण उर्वरकों की अधिक मात्रा खेतों में डालनी पड़ती है।
वायुमण्डल में आक्सीजन की कमी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी के अनुसार नरवाई जलाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। वायुमंडल और भूमि का तापमान बढ़ जाता है। ऑक्सीजन की कमी तथा कार्बन डाईआक्साइड जैसी गैसों की वृद्धि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती है। नरवाई जलाने से कम से कम 10 क्विंटल भूसा प्रति एकड़ नष्ट हो जाता है जिससे पशु चारे की भी कमी हो जाती है। इसके अलावा नरवाई जलाने से आग लगने की भी आशंका रहती है। आग के अन्य खेतों तक पहुंचने से जान-माल का भी खतरा बना रहता है।
एफआइआर दर्ज होना चाहिए
एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद खेतों में नरवाई जलाने से पर्यावरण और जमीन को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसा करने वाले किसानों पर एफआइआर दर्ज होना चाहिए। पंचायत स्तर पर सरपंच-सचिवों को इसे रोकने की पहल करना चाहिए।
सुनील श्रीवास्तव, क्षेत्रीय अधिकारी,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिंदवाड़ा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी के अनुसार नरवाई जलाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। वायुमंडल और भूमि का तापमान बढ़ जाता है। ऑक्सीजन की कमी तथा कार्बन डाईआक्साइड जैसी गैसों की वृद्धि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती है। नरवाई जलाने से कम से कम 10 क्विंटल भूसा प्रति एकड़ नष्ट हो जाता है जिससे पशु चारे की भी कमी हो जाती है। इसके अलावा नरवाई जलाने से आग लगने की भी आशंका रहती है। आग के अन्य खेतों तक पहुंचने से जान-माल का भी खतरा बना रहता है।
एफआइआर दर्ज होना चाहिए
एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद खेतों में नरवाई जलाने से पर्यावरण और जमीन को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसा करने वाले किसानों पर एफआइआर दर्ज होना चाहिए। पंचायत स्तर पर सरपंच-सचिवों को इसे रोकने की पहल करना चाहिए।
सुनील श्रीवास्तव, क्षेत्रीय अधिकारी,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिंदवाड़ा।