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छिंदवाड़ा

Big relief: इस पहल से बदलेगी आंगनबाडिय़ों की सूरत, हो चुकी है शुरुआत

Big relief: जिले की आंगनबाडिय़ों को जल्द मिलेंगे खुद के भवन, दो दर्जन से ज्यादा जगह हो चुका है भूमिपूजन

छिंदवाड़ाJan 22, 2020 / 06:09 pm

prabha shankar

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Big relief: this initiative will change the appearance of Anganwadis

छिंदवाड़ा/ शहरी परियोजना की दो दर्जन से ज्यादा अंागनबाडिय़ों को जल्द अपने खुद के भवन मिल सकेंगे। किराए के कमरे में चल रहीं आंगनबाडिय़ां इस साल सरकारी भवनों में लगना शुरू हो जाएंगी। वर्षों से इन केंद्रों को स्वयं के भवन की दरकार थी। सरकारी जमीन न मिल पाने के कारण भी शहर की ज्यादातर आंगनबाडिय़ों के लिए भवन नहीं बन पाए थे। सरकार ने पिछले वर्ष केंद्रों की जगह के लिए गम्भीरता से काम शुरू किया और अब दो दर्जन से ज्यादा केंद्रों के लिए जगह आवंटित कर और चिह्नित कर उन पर भवन बनाने का काम शुरू हो रहा है। दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए जो नॉम्र्स तय किए गए हैं उस हिसाब से शहर में जगह मिलने में मुश्किल हो रही है। किराया भी सरकार इतना कम दे रही है कि व्यवस्थित जगह मिलना आसान नहीं है। इसीलिए यह निर्णय लिया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में जिस तरह से आम लोगों को जोडऩे का मुख्य अभियानों का केंद्र बनाया जा रहा है उसके अनुसार किराए के कमरे छोटे पड़ रहे हैं। सरकारी जगह पर एक आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के लिए सात लाख रुपए आवंटित किए गए हैं।

कम से कम 650 वर्ग फीट जगह चाहिए
आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए जिस तरह की
सुविधाएं होनी चाहिए वह किराए के कमरों में नहीं मिल रहीं हंै। आंगनबाड़ी केंद्र संचालन के लिए कम से कम 650 वर्ग
फीट जगह होनी चाहिए। कमरे भी पक्के होने चाहिए। शौचालय आदि की सुविधा के साथ बिजली की व्यवस्था भी केंद्रों के लिए जरूरी हैं। पहले सरकार केंद्रों को 750 रुपए प्रतिमाह किराया देती थी। बाद में इसे बढ़ाकर 1500 रुपए प्रतिमाह कर दिया।
इसके बावजूद शहर में केंद्र संचालन के लिए जगह मिलना मुश्किल हो रहा था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इसलिए भी बड़ा कमरा लेने से कतराती रहीं है क्योंकि किराया चार-छह महीने में एक बार मिलता था। उन पर ही यह आर्थिक बोझ आ रहा था।

शहर में कुल 169 आंगनबाड़ी केंद्र
शहर में कुल 169 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। निगम क्षेत्र बनने के बाद शहर से लगी कई ग्राम पंचायतों की आंगनबाडिय़ां भी शहरी क्षेत्र में शामिल हो गई हैं। पंचायत में कई जगहों पर तो केंद्र बने हुए हैं। इनमें से 25 केंद्रों को फिर से चुना गया है और उनके लिए जगह को ढूंढकर वहां सरकारी इमारत तैयार की जा रही है। शहरी क्षेत्र में लगभग 88 केंद्र ऐसे हैं जिन्हें स्कूल परिसर, पूर्व पंचायत भवन या फिर अन्य शासकीय भवनों के कमरों में संचालित किया जा रहा है। कई स्कूल परिसर में ही आंगनबाड़ी संचालन के लिए कमरे बनाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए अब किराया नहीं देगी। इसीलिए विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि जहां जगह नहीं है उन केंद्रों को सरकारी भवनों में संचालित करने की व्यवस्था की जाए।

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