बारात के पोला ग्राउंड पहुंचने पर कुछ देर के लिए अफ रा-तफ री की स्थिति बनी। एक घंटे तक जोड़ों को आपस में मिलाने और उन्हें वरमाला स्थल पर बैठाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान किसी का दूल्हा गुम हो गया था तो किसी की दुल्हन। मंच उद्घोषक को माइक पर बार-बार नाम लेना पड़ा और कर्मचारियों से उन्हें सही जगह पहुंचाना पड़ा। कुछ जोड़े जयमाला के बाद पहुंचे, जिन्हें सीधे विवाह वेदी तक पहुंचाया गया।
सामाजिक वर्जनाएं टूटीं, ७८ जोड़े अंतरजातीय
इंटरनेट युग में शादी को लेकर सामाजिक वर्जनाएं और नियम लगातार टूटते जा रहे हैं। अब अंतरजातीय विवाह को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता। सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ जाने से युवा अपना मनपसंद जीवन साथी चुन रहे हंै। पिछले साल २०१८ में दशहरा मैदान में ५८ जोड़ों ने अंतरजातीय विवाह किए थे। इस बार यह संख्या बढक़र ७८ हो गई है। इस आंकड़े से साफ है कि समाज में लगातार परिवर्तन आ रहा है। एेसे युवक-युवतियों के साथ उनका परिवार भी सहयोगी बन रहा है। इससे ये जोड़े सामूहिक विवाह में शामिल होने के पात्र बन रहे हैं।
सामाजिक वर्जनाएं टूटीं, ७८ जोड़े अंतरजातीय
इंटरनेट युग में शादी को लेकर सामाजिक वर्जनाएं और नियम लगातार टूटते जा रहे हैं। अब अंतरजातीय विवाह को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता। सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ जाने से युवा अपना मनपसंद जीवन साथी चुन रहे हंै। पिछले साल २०१८ में दशहरा मैदान में ५८ जोड़ों ने अंतरजातीय विवाह किए थे। इस बार यह संख्या बढक़र ७८ हो गई है। इस आंकड़े से साफ है कि समाज में लगातार परिवर्तन आ रहा है। एेसे युवक-युवतियों के साथ उनका परिवार भी सहयोगी बन रहा है। इससे ये जोड़े सामूहिक विवाह में शामिल होने के पात्र बन रहे हैं।