कोयले में लगी आग को बुझाने का प्रबंधन प्रयास कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी सिद्व हो रहा है। आशंका है कि कोल स्टाक में आग पहले से लगी होगी। बारिश के कारण धुआं अब दिखाई दे रहा है। प्रबंधन की योजना खदान के पानी से पाइप लाइन द्वारा छिडक़ाव कर आग को बुझाना है और जहां पर आग लगी है वहां से जेसीबी की सहायता से कटाव कर आग के फैलाव पर काबू पाना है।
20 दिन पहले महादेवपुरी कोल स्टॉक में लगी आग
पेंच क्षेत्र की एक अन्य भूमिगत कोयला खदान महादेवपुरी के कोल स्टाक में लगभग बीस दिन पूर्व आग लग चुकी है। यहां पर लगभग 22 हजार टन कोयला स्टाक था। वहां आग से कितना नुकसान हुआ है, अभी तक प्रबंधन ने इसका खुलासा नहीं किया है। प्रबंधन आग लगने की घटनाओ को गम्भीरता से नहीं लेता है। प्रतिवर्ष खदानों में आग लगती है और लाखों रुपए का कोयला जलकर खाक हो जाता है।
कोल स्टॉक में आग का खेल
कोयलांचल में कोल स्टाक में लगी आग के कई मायने होते हैं। सामान्य रूप से स्वत: तपन प्रक्रिया के कारण आग लग जाती है। वहीं कई बार कोल स्टाक में गड़बडिय़ों को छिपाने के लिए भी इसका सहारा लिया जाता है। कोयले के ढेर में लगी आग आसानी से नहीं बुझ पाती है। इस पर पूरी तरह काबू पाने में लंबा समय लगता है। तब तक लाखों रुपए का कोयला जलकर नष्ट हो जाता है। पूर्व में पेंच कन्हान में कोल स्टाक मे लगी आग के सम्बंध में सीबीआइ और विजिलेंस विभाग की जांच कार्रवाई की जद में कई आला अधिकारी आ चुके हैं।
कोल स्टॉक में लगी आग को बुझाने के लिए खदान के पानी को पाइप द्वारा छिडक़ाव करने तथा आग लगे कोयले को जेसीबी से अलग करने के निर्देश दिए गए हैं।
टीएन सूर्यवंशी, महाप्रबंधक पेंच क्षेत्र