शासन को ऐसे पहुंच रहा नुकसान निजी उपयोग के लिए खरीदे वाहन का व्यवसायीकरण होने पर शासन को इस तरह टैक्स का चूना लगाया जाता है। उदाहरण के लिए किसी ने 7 से 8 लाख रुपए कीमत की कार खरीदी। रजिस्ट्रेशन के वक्त उसने निजी उपयोग के लिए खरीदना बताया तो टैक्स करीब दो लाख रुपए लगेगा। इसी वाहन का व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन कराया तो परिवहन विभाग को लगभग दो लाख 20 हजार रुपए टैक्स देना होगा। यह टैक्स एक या फिर दो साल के लिए होगा यानी दोबारा फिर इतना ही टैक्स जमा करना होगा। निजी उपयोग के नाम पर हर साल 20 हजार रुपए का टैक्स आसानी से बचा लेते हैं। इस तरह कई सारे लोग मिलकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं।
यहां भी झोलझाल कोई व्यक्ति अगर मप्र में अपने वाहन का व्यावसायिक टैक्स जमा करता है तो वह केवल उसका उपयोग भी मप्र में ही कर सकता है। किसी अन्य प्रदेश में उस वाहन से व्यवसाय करने के लिए वहां भी टैक्स देना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। अगर पूरे भारत में वाहन को टैक्सी के रूप में चलाना चाहता है तो इसका टैक्स अलग से जमा करना होगा। सबसे छोटे चौपहिया वाहन का टैक्स करीब 15 सौ रुपए तीन माह का यानी साल का 6 हजार रुपए देना होगा। एक्सयूवी वाहनों पर यह टैक्स 15 से 20 हजार रुपए सालाना जाता है।
कार्रवाई का प्रावधान निजी उपयोग के लिए खरीदे गए वाहन को टैक्सी के रूप में चलाते हुए पकड़े जाने पर रजिस्ट्रेशन की शर्तों का उल्लंघन 66/ 192 (ए) के तहत वाहन को जब्त कर न्यायालय में पेश किया जाएगा। न्यायालय वाहन के मालिक पर जुर्माना करेगा। परिवहन अधिकारी भी जुर्माना कर सकता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक सीट पर तीन हजार रुपए से फाइन की शुरुआत होती और अधिकतम छह रुपए लिए जा सकते हैं।
– पछले चार माह में यातायात और परिवहन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में ऐसे 70 वाहन पकड़े गए जो रजिस्ट्रेशन की शर्तों का उल्लंघन कर रहे थे। सभी के खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना वसूला गया है। समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।
सुदेश कुमार सिंह,
डीएसपी, ट्रैफिक, छिंदवाड़ा