कफ्र्यू होने से काम बंद, कैसे मिले रोजगार
पिछले आठ अप्रैल से लगातार कोरोना कफ्र्यू लागू होने से शहर समेत पूरे जिले में निजी स्तर के इंजीनियरिंग, निर्माण, बिजली समेत अधिकांश काम धंधे बंद हो गए हैं। इससे इनसे जुड़े श्रमिक वैसे ही बेरोजगार होकर घर बैठे हैं। ऐसे में कुशल श्रेणी के प्रवासी मजदूरों को कैसे रोजगार मिले, यह सोचनीय विषय है। प्रशासनिक अधिकारी भी यह दबी जुबान से स्वीकार कर रहे हैं। पिछले साल 2020 में भी लॉक डाउन के समय यहीं परिस्थितियां बनी थी। उस समय 13 हजार 127 मजदूर वापस आए थे, छह माह तक घर में बैठना पड़ा था।
रेत, गिट्टी और लोहा की समस्या, नहीं तो पीएम आवास में मिलता काम
पूरे जिले की पंचायतों में इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 25 हजार आवास का लक्ष्य आया है। इन आवासों के निर्माण कफ्र्यू में रेत, गिट्टी और लोहा समेत अन्य सामानों की दुकानें बंद होने से रुके पड़े हैं। इस काम में प्रवासी राज मिस्त्री को अटैच किया जा सकता है। फिलहाल इसकी सम्भावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
शहरी निर्माण मजदूरों की भी आफत, काम बंद होने से घर पर बैठे
कोरोना संक्रमण बढऩे से प्रवासी मजदूरों को देश-प्रदेश में अपना रोजगार छोडकऱ लौटना पड़ा है तो वहीं शहरी निर्माण मजदूरों पर भी आफत टूट पड़ी है। कफ्र्यू में काम बंद से एक माह से घर पर बैठे हैं। नमक, तेल, मिर्च समेत छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। अभी तक ये मजदूर मकान,भवन समेत अन्य निर्माण कार्यों में संलग्न होकर अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। इनके पास तो ग्रामीणों की तरह मनरेगा में मजदूरी का साधन भी नहीं है। फिलहाल यह वर्ग इस समय सबसे ज्यादा परेशानी से गुजर रहा है। सरकारी योजनाएं भी इन्हें सहारा नहीं दे रहीं हैं।
इनका कहना है
अप्रैल से अब तक 1209 प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे हैं। इनमें कुशल श्रेणी के मजदूरों को फिलहाल रोजगार सेतु से जोडऩे के लिए कहा गया है। शेष अकुशल मजदूरों को मनरेगा से रोजगार का इंतजाम किया गया है।
-सुशील गुप्ता, अतिरिक्त सीइओ जिला पंचायत।