सब्जी उत्पादक जिला, किसान परेशान
गेहूं, चना, सोयाबीन, मक्का फसल के साथ सब्जी का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है। सब्जियों की खेती में सबसे ज्यादा डीएपी का उपयोग होता है। एक एकड़ में किसान दो-चार बोरी तक खाद डालते हैं। ऐसे में परम्परागत फसलों के साथ सब्जियों की लागत में वृद्धि हो जाएगी। इससे किसान चिंतित है।
इसलिए दो माह से नहीं आई थी रैक
पिछले दो माह से छिंदवाड़ा में डीएपी की रेलवे रैक नहीं आ रही थी। इसका साफ कारण था कि रासायनिक कम्पनियों को इसका एहसास था। अब जब मूल्य वृद्धि हो गई है, तब दो रेलवे रैक में करीब पांच हजार मीट्रिक टन डीएपी को छिंदवाड़ा पहुंचाया गया है। इसमें आधी खाद सिवनी को मिलेगी।
इनका कहना है
किसान पहले डीजल मूल्य वृद्धि से जूझ रहा था, अब ये डीएपी के दाम बढऩे से फसल और सब्जियों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। केंन्द्र सरकार की नीति से कृषि लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है।
-अमित सक्सेना, किसान नेता
डीएपी में मूल्य वृद्धि से खरीफ फसल और सब्जी के उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी। किसान संघ ने सरकार से यह मूल्य वृद्धि वापस लेने की मांग की है। साथ ही किसानों से डीएपी के उपयोग को कम करने तथा दूसरे विकल्प जैविक संसाधनों पर विचार का आग्रह किया है।
-चौधरी मेरसिंह, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ
डीएपी की दो रेलवे रैक छिंदवाड़ा पहुंच गई है। किसानों को नए मूल्य 1900 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से यह खाद मिलेगा।
-जेआर हेडाऊ, उपसंचालक कृषि।