इस वजह से उन्होंने मोहखेड़ जाना बंद कर दिया। इसके बाद भी अकाउंटेंट और अधिकारी डॉ. अग्रवाल के वेतन का बिल बनाकर भुगतान के लिए सीएमएचओ कार्यालय भेजते रहे। बताया जाता है कि डॉ. अग्रवाल को प्रतिमाह ६० से ७० हजार रुपए वेतन दिया जाता था। उन्हें माह अप्रैल, मई व जून तीन माह का वेतन दिया गया, जबकि इस दौरान वह मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी रहे।
बाबू और अधिकारी की मिलीभगत, संस्था छोडऩे के तीन माह बाद तक जारी किया वेतन विभागीय बाबू और अधिकारी की मिली भगत से उक्त लापरवाही हुई है। मैने नौ अप्रैल को पत्र लिखकर मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करने के बारे में अवगत करा दिया था।
अकाउंटेंट करता रहा लापरवाही
अकाउंटेंट प्रहलाद चरपे द्वारा गुमराह कर दस्तावेजों को प्रस्तुत किया गया तथा सूचना दिए जाने के बाद भी उन्होंने डॉक्टर अग्रवाल का वेतन बनाया। हालांकि अब वेतन की राशि कोषालय में जमा करा ली गई है।
डॉ. केएस बजाज, बीएमओ मोहखेड़
नोटिस के बाद जमा कराई एक माह की सैलरी
डॉ. अग्रवाल की तीन माह से सैलरी जारी होने की जानकारी मुझे नहीं है, इसकी जानकारी मोहखेड़ बीएमओ बता पाएंगे। वहीं मेडिकल कॉलेज की ज्वाइनिंग के त्याग-पत्र जमा न होने की स्थिति में एक माह का वेतन जमा करने का चालान प्रस्तुत करने पर नियुक्ति दी गई है।
डॉ. जेएस गोगिया, सीएमएचओ छिंदवाड़ा