ग्राम पंचायत सावंगा में 30 जनवरी 2007 तक सरपंच पद पर रहते हुए शिवराज शिंदे ने सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में गबन किया है। योजना के अंतर्गत सावंगा से दुधाला खुर्द मार्ग मुरमीकरण के लिए 40.90 क्विंटल चावल शासन से मिला, जिसे मजदूरों को बांटा जाना था। चावल को मजदूरों को न बांटकर अवैध तरीके से गांव के लोगों को बेचा गया। मुरम के संबंध में फर्जी दस्तावेज बनाकर राशि का अपहरण किया गया। फर्जी दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग कर अवैध तरीके से लाभ अर्जित किया। गबन में हेमराज ने पूर्व सरपंच शिंदे का पूरा सहयोग किया। शिकायत के आधार पर लोधीखेड़ा थाना पुलिस ने जांच पड़ताल की। करीब दस साल विचारण के बाद आरोपियों को सजा सुनाई गई।
आरोपी शिवराज शिंदे को धारा 409 में तीन वर्ष सश्रम कारावास,एक हजार का अर्थदण्ड, 420 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, सात सौ रुपए का अर्थदण्ड, 467 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, दो हजार का अर्थदण्ड, 468 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, दो हजार अर्थदण्ड, 471 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, सात सौ रुपए अर्थदण्ड, 120 बी में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, छह सौ रुपए अर्थदण्ड से दंडित किया है। आरोपी द्वारा किए गए कार्य में सहयोग करते हुए व सहमत होते हुए आरोपी हेमराज को धारा 420 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, पांच सौ रुपए अर्थदण्ड 120 बी में तीन वर्ष का सश्रम कारावास 15 सौ रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है। शासन की ओर से प्रकरण में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सौंसर मालिनी देशराज ने पैरवी की।
दुकान संचालक को सजा
छिंदवाड़ा. सिविल न्यायालय सौंसर में सोमवार को खाद्य अपमिश्रण के मामले पर पैरवी हुई। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सौंसर जयदीप सोनवरसे ने दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया। दुकान संचालक को दो वर्ष के कठोर कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। खाद्य निरीक्षक सारिका दुबे खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों पर निरीक्षण कर रही थी। निरीक्षण दौरान उन्होंने विक्रेता गौरीशंकर माहेश्वरी की दुकान पर जांच करते हुए चालू वित्तीय वर्ष का लाइसेंस मांगा। गौरीशंकर ने लाइसेंस बाद में दिखाने का हवाला दिया।
गवाह की मौजूदगी में चाय पत्ती, शक्कर, नमक, स्वीट सुपारी और मूंगफली बेचते हुए संगृहीत पाई गई। स्वीट सुपारी के मानक स्तर में संदेह होने पर नमूना जांच के लिए विक्रय के बिल प्राप्त किया। नमूनों को निर्धारित प्रारूप में भरकर सील कर मौका पंचनामा बनाया और जांच के लिए प्रोयगशाला में भेजा गया। आरोपी गौरीशंकर के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना के बाद परिवाद प्रस्तुत किया। आरोपी को दो वर्ष के कठोर कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। मामले में पैरवी शासन की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सौंसर मालिनी देशराज ने पैरवी की।