वर्ष 2006 में हुई थी घोषणा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006 में नगर आगमन पर ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई थी। चौहान ने एक लाख लीटर क्षमता की टंकी का निर्माण ,जल शोधन संयंत्र , पांच व छह इंच की पाइपलाइन बिछवाने की घोषणा की थी। दो साल बाद 2008 में काम स्वीकृत हुआ। बजट भी मंजूर हुआ पर काम कछुआ चाल से शुरू हुआ। जलदाय विभाग ने पेंच नदी से टंकी तक पाइप लाइन बिछाने में 10 वर्ष लगा दिए। काम आज भी अधूरा पड़ा है। यहीं हालत सिंगोडी के बांका रोड पर बन रहे वाटर फिल्टर प्लांट की है। ग्रामीणों का आरोप है कि फिल्टर प्लांट गुणवत्ताहीन है। आज तक इसका काम पूरा नहीं हुआ। यहां के लोग अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगा कर थक चुके हैं। सभी एक-दो माह में काम पूरा होने का आश्वासन देते हैं।
असमय हो चुकी है कई मौतकरीब दस हजार की आबादी वाले सिगोड़ी गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से यहां के लोग असाध्य बीमारियों से ग्रसित हैं। कई लोग अस्थि रोग व चर्म रोगों से पीडि़त हैं। लोगों के दांत जल्दी टूट जाते हैं। दांत पीले पड़ गए हैं। हड्डियों में दर्द से कई लोगों का चलना-फिरना तक दूभर है। ग्राम के सुल्तान मिस्कीनी ने बताया कि उसके भांजे के हाथ -पैर ही काम नहीं करते हैं। वह अपने हाथों से खाना नहीं खा सकता। उन्होंने नागपुर से अजमेर तक अस्पतालों में भांजे का इलाज कराया पर कोई सुधार नहीं हुआ। असाध्य बीमारी से ग्रसित गांव के चार बच्चे बिस्तर पर ही पड़े रहते हैं। दूषित पानी के कारण कई लोगों की असमय ही मौत हो चुकी है।