scriptअमानवीयता की हद पार: पौती की आंखों के सामने तड़पते हुए दादी का निकला दम… पढ़ें पूरा मामला | Crossing the limit of inhumanity: Growing up in front of the eyes of the grandmother, Dadi's gone ... Read the whole case | Patrika News
छिंदवाड़ा

अमानवीयता की हद पार: पौती की आंखों के सामने तड़पते हुए दादी का निकला दम… पढ़ें पूरा मामला

वाह रे ‘सिस्टम’! रैफर करने के बाद भी एम्बुलेंस पहुंची ना पुलिस, पौन घंटे तक स्टे्रचर पर तड़पती रही वृद्धा, जिला अस्पताल में हुई, दुर्घटना में घायल हुई थी वृद्धा, इधर ऑटो चालक ने अस्पताल पहुंचाकर निभाया मानवीयता का धर्म।

छिंदवाड़ाMay 03, 2017 / 09:33 pm

gaurav khandelwal

दौसा. दुर्घटना में हुए घायल व गम्भीर बीमार मरीजों को त्वरित राहत पहुंचाने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से जिला चिकित्सालय में ट्रोमा यूनिट संचालित की गई थी, लेकिन बुधवार दोपहर ट्रोमा यूनिट में पौन घंटे तक तड़पने के बाद एक वृद्धा की मौत के आगोश में जाने की घटना ने यूनिट के उद्देश्य को खोखला साबित कर दिया। 
पीजी कॉलेज के सामने बाइक की टक्कर से घायल हुई वृद्धा को एक ऑटो चालक ने तो मानवीयता का धर्म निभाते हुए चंद मिनटों में अस्पताल पहुंचा दिया, लेकिन इसके बाद अस्पताल में जो हुआ उसने अमानवीयता की सभी हदें पार कर दी। यूनिट में तैनात चिकित्सक ने वृद्धा की गम्भीर हालत को देखकर तत्काल प्राथमिक उपचार कर उसे जयपुर रैफर कर दिया, लेकिन मौके पर ना तो एम्बुलेंस आई और ना ही पुलिस। 
ऐसे में वृद्धा करीब पौन घंटे तक स्ट्रेचर पर तड़पती रही और आखिरकार उसकी मौत हो गई। इस दौरान उसके साथ मौजूद सात वर्षीय पौती बिलखती रही, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका। ऐसे में अस्पताल में हुई इस दर्दनाक घटना ने भगवान का घर माना जाने वाले अस्पताल की सार्थकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 
खास बात यह रही कि वृद्धा की मौत के करीब 45 मिनट बाद कोतवाली थाना पुलिस अस्पताल पहुंची और उसकी शिनाख्तगी के प्रयास किए। शाम को पुलिस ने पोस्टमार्टम करा शव परिजनों के सुपुर्दकर दिया और अपने फर्जकी इतिश्री कर ली। 
उप निरीक्षक विश्वम्भर दयाल ने बताया कि मृतका खेड़ली निवासी छगना पत्नी सूरजमल राना है। वह दोपहर में किसी शादी समारोह में शामिल होने के लिए पौती के साथ जा रही थी। कॉलेज के सामने बाइक की टक्कर से वह घायल हो गई। इस दौरान ऑटो चालक ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया, जहां से चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद रैफर कर दिया। 
इस दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि पुलिस मोड़ा का बालाजी रोडपर अतिक्रमण हटाने चली गईथी। ऐसे में पुलिस के पहुंचने में देरी हुई। एम्बुलेंस समय पर क्यों नहीं पहुंची? इसकी जांच की जा रही है।
यूं थमती गई वृद्धा की सांस

-12.20 बजे कॉलेज के सामने अज्ञाप बाइक सवार ने टक्कर मारी।

-12.35 बजे पर अज्ञात ऑटो चालक ने गम्भीर हालत में पहुंचाया अस्पताल।

-12.45 बजे ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार कर जान बचाने के लिए किया जयपुर रैफर
-12.48 से 01.02 बजे तक नर्सिंग अधीक्षक बलवीर ने एम्बुलेंस 108 बुलाने के लिए लगातार फोन किया, लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया। 

-12.52 बजे अस्पताल पुलिस चौकी पर तैनात कांस्टेबल राजवीर ने कोतवाली थाना पुलिस को दी घटना की जानकारी।
-01.03 पर नर्सिंग अधीक्षक ने एम्बुलेंस 104 को फोन कर मामले की जानकारी दी। 

01.03 पर एम्बुलेंस 104 के चालक ने तत्काल पहुंचने का भरोसा दिलाया, लेकिन वह नहीं पहुंचा।

01.04 से 01.20 बजे तक करीब 16 मिनट तक वृद्धा स्ट्रेचर पर तड़पती रही, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई।
01.21 बजे आखिरकार वृद्धा की सांसे थम गई और इसी के साथ मानवीयता की भी मौत हो गई।

02.05 बजे कोतवाली थाना पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर शुरू किया शिनाख्तगी का कार्य

…और स्ट्रेटर के लिपट गई पोती 
वृद्धा छगना जब स्ट्रेचर पर तड़प रही थी। उस दौरान उसकी सात वर्षीय पौती मंजू उसके बगल में खड़ी बिलख रही थी। वह बार-बार जीजी (दादी) के पास जाने की कह रही थी, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका। 
वृद्धा की मौत के बाद जब अस्पतालकर्मी वृद्धा के शव को मोर्चरी में रखने के लिए ले जाने लगे तो उसकी पौती स्ट्रेचर के लिपट गई। इस दौरान अन्य नर्सिंगकर्मियों ने पौती को बहला-फुसलाकर अपनी गोद में ले लिया और शव को मोर्चरी में भिजवा दिया गया। 
नर्सिंगकर्मियों ने किए शिनाख्तगी के प्रयास

वृद्धा की मौत के बाद भी 45 मिनट तक पुलिस के नहीं पहुंचने तथा वृद्धा की शिनाख्त नहीं होने पर नर्सिंगकर्मियों ने स्वयं के स्तर पर उसकी शिनाख्तगी के प्रयास शुरूकर दिए। इस दौरान चौकी पर तैनात कांस्टेबल राजवीर सहित नर्सिंग अधीक्षक बलवीरसिंह, लक्ष्मण सैनी, रोशन, नीरज कुमार आदि ने इधर-उधर फोन कर शिनाख्तगी के प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। 
नहीं उठाया फोन

वृद्धा के घायल अवस्था पर अस्पताल पहुंचते ही उसका उपचार कर जयपुर के लिए रैफर कर दिया। इसके बाद एम्बुलेंस 108 को फोन किया, लेकिन किसी ने नहीं उठाया। अधिकतर समय यही होता है। मरीज तड़पते रहते हैं। 
डॉ. शिवचरण मीना ड्यूटी चिकित्सक ट्रोमा यूनिट, दौसा


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