देवी आरती और मानस मनीषा अनुपमा ने सुनाई कथा
भागवत महापुराण कथा रूपी अमर कथा का श्रवण करने से पापी से पापी व्यक्ति भी मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
देवी आरती और मानस मनीषा अनुपमा ने सुनाई कथा
छिंदवाड़ा. बड़चिचोली. ग्राम में संगीतमय में श्रीमद् भागवत कथा जारी है कथा के दौरान पं. देवी आरती किशोरी ने श्रद्धालुओं को बताया कि श्रीमद् भागवत महापुराण कथा रूपी अमर कथा का श्रवण करने से पापी से पापी व्यक्ति भी मुक्ति प्राप्त कर सकता है। कथा एक दर्पण की तरह है जो मनुष्य के गुण दोषों का बखान करती है। एक बार इस कथा को सुन लेने से जीव का जीवन मृत्यु के बंधन से छुटकारा हो जाता है। भागवत कथा का आयोजन साईं प्रसाद समिति द्वारा कराया जा है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंच रहे हैं।
वहीं भंडारिया के पोला ग्राउंड में आयोजित भागवत कथा में सोमवार को मानस मनीषा अनुपमा शास्त्री ने भागवत कथा के दौरान बताया कि मनुष्य अपनी इंद्रियों के बस में रहता है। इंद्रिया जैसा कहती हैं मनुष्य वैसा ही करता है लेकिन मनुष्य को जितेंद्रीय होना चाहिए अर्थात इंद्रियां स्वयं के नियंत्रण में होना चाहिए। मनुष्य दस इंद्रियों के वशीभूत होता है, पांच कर्म इंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां। जिसने अपने इंद्रियों पर विजय पा लिया वह जितेंदीय हो जाता है। जब मनुष्य की इंद्रियां उसके बस में हो जाती हैं तो स्वत: ही भगवान का चिंतन करने लगता है। इसके अलावा उन्होंने आसन महत्व बताया। बैठने का आसन सही होगा तो ध्यान सही होगा और ध्यान सही होगा ईश्वर का स्मरण सही होगा।
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