‘भाग्य के दरवाजे पर सिर पीटने से बेहतर है कि कर्म के तूफान पैदा करें’
कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर श्रम की महत्ता पर परिचर्चा
छिंदवाड़ा/चांद. शासकीय कॉलेज चांद में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के उपलक्ष्य में परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में प्राचार्य डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि हमें श्रम के साथ सम्मान जोडकऱ श्रमिकों को देखना चाहिए। संसार में जो भी रचनात्मक कार्य हुए हैं, उनके केंद्र में श्रमिक ही रहे हैं। श्रमिक हमें सिखाता है कि कड़ी मेहनत खराब किस्मत को काबू करती है।
इस मौके पर डॉ. अमर सिंह ने श्रमिकों के विश्वव्यापी महत्व को बताते हुए कहा कि संयम व परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। श्रम से बचना गुलामी में रहना है। परिश्रम सौभाग्य की जननी है। मनुष्य को अपने कल्याण के लिए भाग्य के दरवाजे पर सिर पीटने की बजाय कर्म के तूफान को पैदा करना चाहिए, सारे दरवाजे खुल जाएंगे। समाज के उत्पाद के आधार में मजदूर होता है। श्रमिकों का सम्मान इंसानियत की उत्कृष्टता का परिचायक है। मेहनत एक मात्र प्रार्थना है जिसका प्रकृति उत्तर अवश्य देती है। श्रम के बदले उचित दाम व पुरस्कार देश की तरक्की के लिए जरूरी है। पूंजी से पहले श्रम है। श्रमिकों के श्रम से बने उत्पादों की साख मालिकों को मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रमिक खुशी का फल पाने से पहले आंसुओं के बीज बोता है। सुअवसर कड़ी मेहनत के एवज में आते हैं। परिश्रम झुर्रियां दूर करता है। श्रमिक अपने पसीने का आनंद उठाता है। धैर्य, कठोर श्रम व निरंतरता विफलता के रोग को मारने की उत्तम दवा है। प्रो. योगेश अहिरवार ने कहा कि श्रम हमारी पहचान व कीमत बढ़ा देता है। अवसर कठोर परिश्रम के साथ आते हैं। प्रो. चंद्रशेखर उसरेठे ने कहा कि मुश्किलों को पार करना ही अवसरों को खोज लेना है। श्रेष्ठ कार्य वह है जिसमें कार्य दिखे पर कर्ता नहीं। क्रीड़ा अधिकारी प्रदीप पटवारी ने कहा कि जिंदगी अपने दम पर जिओ, दूसरों के कंधे पर तो जनाजे जाते हैं। प्रो. प्रकाश नागले ने कहा कि श्रमिक के प्रति उच्च स्तर का व्यवहार इंसानियत के विकास की पहली सीढ़ी है। प्रो. राजकुमार पहाड़े ने कहा कि सपने खून पसीने, संकल्प व कठोर परिश्रम से साकार होते हैं। परिचर्चा में अखिलेश शर्मा, काजल विश्वकर्मा, रीता बंदेवार, कंचन सोनी, प्रीति, उमेश साहू, दीपक चंद्रवंशी, ओमकार कनोजिया, निशा, पूजा वर्मा, शिवानी भारत, साक्षी, मोनिका और मैहर साहू ने भी भाग लिया।
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