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छिंदवाड़ा

इस बात के लिए आपस में लड़ रहे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, देखें वीडियो

अहम की लड़ाई में मरीज परेशान: मेडिकल कॉलेज के सर्जिकल विभाग का मामला, एक घंटे इंतजार, फिर भी नहीं हुआ ऑपरेशन

छिंदवाड़ाSep 28, 2018 / 11:30 am

Dinesh Sahu

Doctor of Medical College fighting for this, see video

Doctor

छिंदवाड़ा. मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा के सर्जिकल विभाग में डॉक्टरों की अहम की लड़ाई मरीजों के लिए मुसीबत साबित हो रही है। नियम-कानूनों को भी ताक पर रख दिया जा रहा है। गुरुवार को एेसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें घेंघा रोग से पीडि़त एक महिला को एक घंटे तक ऑपरेशन थिएटर के पलंग पर लिटाए रखा गया, लेकिन बेहोशी का इंजेक्शन नहीं लगाने पर मरीज का ऑपरेशन नहीं हो सका। इससे पीडि़त के परिजन आक्रोशित हो गए तथा उन्होंने मामले की शिकायत की है। परिजन मालती सिंगारे ने बताया कि बेहोशी का इंजेक्शन नहीं लगने से ऑपरेशन नहीं हो सका, जबकि ओटी में एक घंटे लिटाए रखा।
दरअसल, महनौर निवासी शर्मिला सिंगारे पिछले आठ दिन से गले के घेंगा रोग के उपचार के लिए सर्जिकल वार्ड में भर्ती है। आवश्यक सभी जांचों के बाद ऑपरेशन किया जाना था, लेकिन बेहोशी का इंजेक्शन न लगने से बिना ऑपरेशन के ही मरीज को वार्ड में भेज दिया गया। उल्लेखनीय है कि सर्जिकल विभाग में डॉक्टरों के बीच गुटबाजी शुरू हो गई है। एक सप्ताह पहले भी इसी वजह से एक मरीज को ऑपरेशन नहीं हो पाया था।

गुटबाजी के चलते सर्जिकल विभाग के कई मरीज परेशान हो रहे हंै। एक ओर आवश्यक जांच पूरी होने के बाद भी मरीज का ऑपरेशन नहीं हुआ। वहीं बुधवार को बिना पीएसी जांच किए एक मरीज का ऑपरेशन कर दिया गया। इधर मेडिकल कॉलेज के सोनाली त्रिपाठी, अश्विन पटेल तथा मोना भलावी एनेस्थीसिया विशेषज्ञ सुबह ११.४५ बजे ही जिला अस्पताल से चले गए।

नियम-कानून का अलग-अलग पालन


चिकित्सा क्षेत्र में किसी भी मरीज का ऑपरेशन करने से पूर्व ब्लड, बीपी, शुगर समेत एनेस्थीसिया (बेहोशी) विशेषज्ञ द्वारा प्री एनेस्थीसिया चेकअप (पीएसी) आदि जांच करना आवश्यक होता है। सभी आवश्यक जांच सामान्य होने पर मरीज का ऑपरेशन किया जाता है। लेकिन मेडिकल कॉलेज में उक्त नियमों का पालन डॉक्टरों को देखकर किया जाता है। इस संदर्भ में सर्जन डॉ. मनन गोगिया ने बताया कि पीडि़त शर्मिला की पीएसी जांच हो चुकी थी तथा रिपोर्ट भी सामान्य आई थी। इसके बाद भी उसे एनेस्थीसिया नहीं दिया गया।

बनाई वैकल्पिक व्यवस्था


मेडिकल कॉलेज के लिए इ-औषधि के माध्यम से दवाओं की खरीदी की जानी है, जिसके लिए हर विभाग के प्रमुखों को सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए है। इसी संदर्भ में एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों को भी बुलाया गया था। उक्त मामले की सूचना मिलने के बाद जिला अस्पताल के आरएमओ को वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए बोला गया था।
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