ऐसा..भाजपा उम्मीदवारों के साथ भी…. छिंदवाड़ा विधानसभा के मतदाताओं ने ऐसा केवल कांग्रेस के साथ ही नहीं किया बल्कि भाजपा के साथ भी किया। मतदाताओं ने यदि छिंदवाड़ा विधानसभा के प्रत्याशी भाजपा के बंटी साहू को 88622 वोट दिया तो उससे ज्यादा लोकसभा के उम्मीदवार नत्थन शाह को 92812 वोट देकर पसंद किया। यानी बंटी को यहीं व्यक्तिगत 4190 वोट का नुकसान हुआ। यदि उन्हें ये 92 हजार वोट मिल जाते तो हार का अंतर 21 हजार के पास होता। यह भी छिंदवाड़ा के मतदाताओं की सोच है। साफ पता चलता है कि ये 4 हजार का वोट सीधे तौर पर व्यक्तिगत पसंद के आधार पर कमलनाथ के खाते में चला गया।
पिछले लोकसभा से छह हजार का नुकसान पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे कमलनाथ को छिंदवाड़ा विधानसभा से 32041 वोट की लीड मिली थी। इसकी तुलना इस विधानसभा उपचुनाव में खड़े सीएम के रूप में उनसे की जाए तो उन्हें 25837 वोट की लीड मिली। यानि 6204 वोट का नुकसान उठाना पड़ा है। यह वोट कैसे और किस कारण कम हुआ, यह कांग्रेस गलियारों में सोच का विषय बन गया है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की सर्वे एजेंसियां और कार्यकर्ता इस बार मतदाताओं के मूड को भांप नहीं पाए।
अपेक्षाकृत लीड नहीं मिलने का अलग गम छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव में इस बार हर कांग्रेस कार्यकर्ता को ये उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री की लीड कम से कम 50 हजार पार होगी। रिजल्ट में यह 25 हजार के आंकड़े पर सिमटने से छोटे से लेकर बड़े नेता तक दुखी हंै। वे यही कह रहे हैं कि उन्होंने ऊपरी स्तर पर जिस तरह का वादा किया था, वह पूरा नहीं हो पाया। इसी के चलते बूथ लेवल के कुछ कार्यकर्ता कांग्रेस भवन तक नहीं पहुंच रहे हैं। कम लीड का गम बना हुआ है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे? इस सवाल का जवाब उन्हें नहीं मिल पा रहा है।