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छिंदवाड़ा

कांग्रेस से दोहरा व्यवहार: पुत्र से ज्यादा पिता को किया पसंद

लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस के मत में 6576 का अंतर:

छिंदवाड़ाMay 28, 2019 / 12:37 pm

Rajendra Sharma

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लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में कमलनाथ को 6204 कम वोट मिले
कार्यकर्ता भी मान रहे, मतदाताओं पर दिखा मोदी लहर का असर
छिंदवाड़ा. एक व्यक्ति जब वोट करने मतदान केंद्र जाता है तो दो इवीएम में दिख रहे एक ही पार्टी के दो उम्मीदवारों के प्रति एक ही व्यवहार यानी एक सा मतदान की उम्मीद की जाती है, लेकिन छिंदवाड़ा विधानसभा के मतदाताओं का अपना मूड है। उन्होंने इस लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में खड़े नकुल और उनके पिता कमलनाथ के साथ दोहरा व्यवहार किया। पिता को ज्यादा वोट दे दिया और पुत्र को कम। इस परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस भवन में इस विषय पर चिंतन शुरू हो गया है। इस गूढ़ सवाल का उत्तर पाने कार्यकर्ताओं के स्तर पर खोजबीन भी की जा रही है।
चुनाव परिणाम का विश्लेषण किया जाए तो साफ है कि लोकसभा चुनाव के कांग्रेस उम्मीदवार नकुल को छिंदवाड़ा विधानसभा के मतदाताओं ने 107883 मत दिए। जबकि छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव में खड़े उनके पिता मुख्यमंत्री कमलनाथ को 114459 वोट मिले। इन दोनों वोटों का अंतर 6576 आया। साफ जाहिर है कि मतदाताओं के एक वर्ग ने कमलनाथ को ज्यादा पसंद किया और पुत्र को कम वरीयता दी। इससे यह संकेत भी मिले कि कुछ मतदाताओं ने पहली मशीन में कमलनाथ को वोट तो दे दिए लेकिन दूसरी मशीन में आते ही उनका मन बदल गया और मोदी लहर में आकर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी नत्थन शाह को पसंद कर लिया यानी नकुल के नाम आने वाले ये वोट सीधे तौर पर भाजपा या अन्य के नाम पर शिफ्ट हो गए।
ऐसा..भाजपा उम्मीदवारों के साथ भी….

छिंदवाड़ा विधानसभा के मतदाताओं ने ऐसा केवल कांग्रेस के साथ ही नहीं किया बल्कि भाजपा के साथ भी किया। मतदाताओं ने यदि छिंदवाड़ा विधानसभा के प्रत्याशी भाजपा के बंटी साहू को 88622 वोट दिया तो उससे ज्यादा लोकसभा के उम्मीदवार नत्थन शाह को 92812 वोट देकर पसंद किया। यानी बंटी को यहीं व्यक्तिगत 4190 वोट का नुकसान हुआ। यदि उन्हें ये 92 हजार वोट मिल जाते तो हार का अंतर 21 हजार के पास होता। यह भी छिंदवाड़ा के मतदाताओं की सोच है। साफ पता चलता है कि ये 4 हजार का वोट सीधे तौर पर व्यक्तिगत पसंद के आधार पर कमलनाथ के खाते में चला गया।
पिछले लोकसभा से छह हजार का नुकसान

पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे कमलनाथ को छिंदवाड़ा विधानसभा से 32041 वोट की लीड मिली थी। इसकी तुलना इस विधानसभा उपचुनाव में खड़े सीएम के रूप में उनसे की जाए तो उन्हें 25837 वोट की लीड मिली। यानि 6204 वोट का नुकसान उठाना पड़ा है। यह वोट कैसे और किस कारण कम हुआ, यह कांग्रेस गलियारों में सोच का विषय बन गया है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की सर्वे एजेंसियां और कार्यकर्ता इस बार मतदाताओं के मूड को भांप नहीं पाए।
अपेक्षाकृत लीड नहीं मिलने का अलग गम

छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव में इस बार हर कांग्रेस कार्यकर्ता को ये उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री की लीड कम से कम 50 हजार पार होगी। रिजल्ट में यह 25 हजार के आंकड़े पर सिमटने से छोटे से लेकर बड़े नेता तक दुखी हंै। वे यही कह रहे हैं कि उन्होंने ऊपरी स्तर पर जिस तरह का वादा किया था, वह पूरा नहीं हो पाया। इसी के चलते बूथ लेवल के कुछ कार्यकर्ता कांग्रेस भवन तक नहीं पहुंच रहे हैं। कम लीड का गम बना हुआ है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे? इस सवाल का जवाब उन्हें नहीं मिल पा रहा है।

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