उद्यानकी फसल में कीट लगने का डर खीरा, तरबूज, खरबूज और ककड़ी फसलों में सिंचाई व्यवस्था ठीक से करें तथा तापमान कीट फैलने के लिए अनुकूल हैं उसको ध्यान में रखते हुए लौकी, करेला, बरबटी, भिंडी और बैगन जैसी फसलों में रोज किटों की निगरानी करें। आम, नीम्बू वर्गीय फसलों एवं अन्य फसलो में सिंचाई का उचित प्रबंधन करें। केला, पपीता एवं अन्य फसलों में वाष्पोत्सर्जन की दर को देखते हुए ड्रीप में पानी की मात्रा बढ़ा दें।
कहा गया है कि इस मौसम में बेलवाली फसलों में न्यूनतम नमी बनाएं रखें अन्यथा मृदा में कम नमी होने से परागण पर असर हो सकता है जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है।
ऐसे करें वाष्पीकरण पर नियंत्रण इन दिनों तेज धूप के कारण मक्का, मूंग, उड़द और मूंगफली में पानी की आवश्यकता बढ़ी है। अत: इन फसलों में सिंचाई पर ध्यान दें तथा दो सिंचाई के अंतराल को कम करें। ग्रीष्म कालीन मूंग एवं सब्जी की फसलों में थ्रिप्स किट के प्रकोप से पत्तियां सिकुड़ी हुई दिखाई पडऩे पर इमिडाक्लोपिड नामक दवा एक मिलीलीटर प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से दोपहर बाद छिडक़ाव करें। गन्ने की नई फसल में आवश्यकता अनुसार निंदाई-गुडाई एवं सिंचाई करें। ग्रीष्म कालीन फसलों की कतार के बीच में वानस्पतिक मल्च या प्लास्टिक मल्च डालने की सलाह दी गई है ताकि वाष्पीकरण को कम किया जा सके। इस मौसम में किसान अपनी मिट्टी की जांच किसी प्रमाणित स्रोत से करवाएं और जहां संभव हो खेत का समतलीकरण करवाएं।