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छिंदवाड़ा

मंडी अधिनियम में संशोधन के विरोध में उतरे कर्मचारी

मप्र कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन कर कृषि विपणन का अलग से पद सृजित कर प्रायवेट मंडी और व्यवस्थाएं लागू कर सरकारी मंडी के नियंत्रण से बाहर रखी है।

छिंदवाड़ाMay 10, 2020 / 05:47 pm

SACHIN NARNAWRE

मंडी अधिनियम में संशोधन के विरोध में उतरे कर्मचारी

मंडी अधिनियम में संशोधन के विरोध में उतरे कर्मचारी

पांढुर्ना. शासन ने मप्र कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन कर संचालक कृषि विपणन का अलग से पद सृजित कर प्रायवेट मंडी और अन्य व्यवस्थाएं लागू कर सरकारी मंडी के नियंत्रण से बाहर रखी है। इस संशोधन के कारण भविष्य में कृषि उपज मंडी का कोई उपयोग नहीं रह जाएगा और किसानों के साथ छल की व्यवस्था चरम पर आ जाएगी।
इसको लेकर मंडी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम को सौंपा है। कृषि उपज मंडी के सचिव मनोज चौरसिया ने बताया कि इस संशोधन के कारण प्रायवेट मंडिया गन्ना मिल के समान शुरू हो जाएगी। वर्तमान में गन्ना किसानों का गन्ना मिलों पर लगभग 19, 500 करोड़ रुपए बकाया है।
सरकारी मंडियों में अगर गेहूं के दाम दो हजार रुपए क्विंटल है तो ये प्रायवेट मंडी वाले इसके दाम 2300 रुपए में खरीदने का लालच देंगे। फिर राशि के बदले सामान देने की बात होगी और 1500 रुपए के सामान पर 2300 रुपए दाम चिपकाकर किसान को लूटा जाएगा। प्रायवेट कंपनियों के लोक लुभावन ऑफर के कारण सरकारी मंडियों में न तो अनाज की आवक होगी और न ही व्यापार होगा। इससे प्रदेश भर में लाखों की संख्या में मध्यमवर्गीय व्यापारी, हम्माल, तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे। सरकारी मंडी में व्यापार खत्म हो जाएगा जिससे सरकारी मिलने वाली आय भी समाप्त हो जाएगी। कई कर्मचारियों को भूखे मरने के दिन आ जाएंगे। सरकारी मंडी का निर्माण मप्र कृषि उपज मंडी अधिनियम के लागू होने से पूर्व प्रायवेट मंडियो द्वारा किसानों से पांच प्रतिशत और क्रेता व्यापारियों से 10 प्रतिशत मंडी शुल्क वसूले जाने वाले शोषण के विरुद्ध हुआ था। अब प्रायवेट मंडियों के शुरू होने से यह कुप्रथा पुन: जीवित हो जाएगी।
मंडी अधिनियम के पूर्व प्रावधानोंं के अंतर्गत प्रायवेट मंडी, इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म ट्रेडिंग को सरकारी मंडी समितियों के पूरी तरह नियंत्रण में रखे जाने की मांग की गई है। इसी तरह प्रायवेट मंडी हो या निजी क्रय केन्द्र पर किसानों के उपज की आवक व विक्रय से लेकर पूर्ण भुगतान होने तक का कार्य, सिर्फ सरकारी मंडी कर्मचारियों के प्रत्यक्ष निगरानी में ही रखे जाने की मांग की गई है।
ज्ञापन सौंपने वालों में मंडी सचिव मनोज चौकीकर, मंडी निरिक्षक टीएन चौरे, चन्द्रशेखर चरपे, जनार्दन उपासे, सुरेन्द्र इड़पाचे, डी जे सांरगपुरे, अलोक नागवंशी, राजकुमार दहीवाले, मनोहर नवघरे सहित अन्य स्टॉफ कर्मचारी आदि उपस्थित थे।

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