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छिंदवाड़ा

Festival : मकर राशि में आए सूर्य देवता, संक्रांति की धूम

त्योहार : पवित्र नदियों में स्नान के साथ दान-पुण्य का दौर

छिंदवाड़ाJan 15, 2020 / 12:54 pm

Rajendra Sharma

Makar Sankranti

Makar Sankranti

छिंदवाड़ा/ सर्दियों का मौसम अब समाप्त होने और बसंत के आगमन का संदेश देने वाला मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। परम्परागत रूप में जनवरी की 14 तारीख को मकर संक्राति आती है, लेकिन हर वर्ष सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय देर से होता है इसीलिए संक्रांति का पर्व एक दिन आगे बढ़ रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. दिनेश द्विवेदी ने बताया कि मंगलवार की रात को दो बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हुआ है इसीलिए संक्रांति इस बार भी 15 जनवरी बुधवार को मनाई जा रही है। उन्होंने ही बताया कि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी यानी प्रकाश या उजाले का समय पृथ्वी पर बढ़ जाता है जो और ज्यादा कर्म करने के लिए प्रेरित करता है।
मकर संक्रांति से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। ठीक 15 दिन बाद बसंत पंचमी मनाई जाती है। ऋतु परिवर्तन के इस उत्सव को पूरे देश में मनाया जाता है। तामिलनाडु में यह संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है, असम मेघालय और मिजोरम में माघी बीहू के रूप में तो ओडीसा में मकरचोला और झारखंड में टुसु पर्व के रूप में यह जाना जाता है। पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा में लोहड़ी के रूप में उत्सव शुरू हो चुके हैं।
स्नान-ध्यान और दान का महत्व

इस विशेष पर्व को मनाकर पवित्र नदियों में स्नान ध्यान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना करने का महत्व है। शहर के मंदिरों में विशेष पूजन कार्यक्रम हो रहे हैं। तिल और गुण के पकवान बनाकर लोग अपने परिजन, परिचितों को खिलाते हैं और मित्रवत व्यवहार और स्नेह बनाए रखने की कामना भी करते हैं।
श्रद्धालु बुधवार को सुबह जल्द उठकर स्नान ध्यान करने मंदिरों में दर्शन करने पहुंच रहे है, दान-पुण्य कर रहे हैं। इस दिन गुप्त दान देने की प्रथा भी है। तिल, गुड के साथ अन्न और वस्त्र दान का भी महत्व बताया गया है।
आसमान में उड़ रहीं पतंगे

मकर संक्रंाति पर पतंगों से आसमान भी मानों रंगीन हो गया है। मंगलवार के दिन इसकी तैयारियां भी युवाओं ने कर ली थीं। हालांकि इस बार पतंग को लेकर उत्साह कुछ कम दिख रहा है। परीक्षाएं इस बार जल्द हो रही है इसलिए कई बच्चे पढ़ाई में व्यस्त हैं। दूसरा चाइनीज मांजे से हाथों में चोट आने के भय से पालक भी बच्चों को इससे दूर रखने के प्रयास में हैं।
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