Poetry forum News सब रंगों के फूलों को बगिया में खिलाया जाए
पाठक मंच ने आयोजित की काव्यगोष्ठी
Poetry forum News सब रंगों के फूलों को बगिया में खिलाया जाए
फू ल सब रंगों के बगिया में खिलाया जाए
छिंदवाड़ा साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा संचालित जिला इकाई पाठक मंच ने गत दिवस काव्य गोष्ठी आयोजित की। केशव प्रसाद तिवारी अध्यक्षता में गोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि रत्नाकर रतन थे। संस्कृति और साहित्य के संगम स्वरूप आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ नवोदित कवि स्वप्निल गौतम की सरस्वती वंदना से हुआ।
शशांक दुबे ने शुरुआत करते हुए कहा कि- सब रंगों के फूलों को बगिया में खिलाया जाए, गले तो मिल चुके अब दिल भी मिलाया जाए। भले नीला, हरा, लाल हो या केसरिया, सब रंगों से भारत को सजाया जाए। अपनी उम्दा गजलों से वाह-वाही प्राप्त करते हुए संगीता श्रीवास्तव ने पढ़ा-रुख से पर्दा जरा जो हटा दीजिए, बात ऐसी भी क्या जो छिपा दीजिए, कौंधती बिजलियां हैं न हवा कीजिए, भडक़ते शोलों को कैसे बुझा दीजिए। वरिष्ठ शायर गुलाम मध्यप्रदेशी ने कहा-इतने बरसों के बाद भी रोशनी है खफ ा आज भी मां अगर साथ है तो घर में हर तरफ रोशनी रोशनी। अपने सरल अंदाज में कविताओं से बात करते हुए बेनानी सिंह बघेल ने ‘आंसू तेरे रूप हजार और बलात्कार कुर्सी का’ के माध्यम से चिंतन दिया। संचालन कर रहे तरुण जैन ने लोगों को काव्य के माध्यम से गुदगुदाते हुए अपनी व्यंग रचना से चुटकी लेते ताली बटोरी- मौन के नारे ही शोर मचा रहे हैं, न्याय के इशारे ही चोर बना रहे हैं, जाएं तो आखिर किस डॉक्टर के पास, आज ताकत के केप्सूल ही कमजोर बना रहे हैं। वरिष्ठ कवि शिवशंकर शुक्ल लाल ने अपनी व्यंग्य रचना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा- हम शोषक हैं तुम शोषित हो, बात नहीं बेईमानी है, प्रजातंत्र में तुम्ही दूध हो, दूध मिले हम पानी हैं।
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