विभागीय अधिकारियों का कहना है कि एजीएमपी द्वारा किए गए ऑडिट को क्लीन चिट मिल गई थी तो भोपाल से आई ऑडिट की टीम ने आपत्ति कैसे लगा दी। वहीं मामले को रफादफा करने के लिए पांच लाख रुपए की मांग की गई। नहीं दिया तो बवाल खड़ा कर दिया गया। वहीं ऑडिट विभाग के संतोष खुईया ने उक्त आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह छिंदवाड़ा विभागीय निर्देशों का पालन करने गए थे। डेढ़ करोड़ के बिल-बाउचर की दोबारा सूक्ष्मता से जांच की जानी है, इसलिए उन्हें बुलाया गया है।