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यह थी बड़ी वजह जिससे कमलनाथ को सक्रिय राजनीति में आना पड़ा

locationछिंदवाड़ाPublished: Dec 16, 2018 09:10:07 pm

Submitted by:

prabha shankar

यादों के झरोखों से… नगर पालिका अध्यक्ष प्रवीण पालीवाल ने बताया उस समय का वाकया

history of kamalnath

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छिंदवाड़ा/ पांढुर्ना. जिले के सांसद के रूप में अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाले कमलनाथ 17 दिसम्बर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। यह बहुत कम लोगों को मालूम है कि जिले में उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत पंाढुर्ना में हुई एक विशेष बैठक में तय हुई थी। वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रवीण पालीवाल ने अपने पिता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे दुर्गादास पालीवाल से सुने पूरे किस्से को पत्रिका से साझा किया। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के दौरान जब सिर्फ छिंदवाड़ा से ही कांग्रेस ने सांसद का चुनाव जीता था और गार्गीशंकर मिश्र यहां से सांसद बने थे। उनकी कार्यकर्ताओं से जमी नहीं और सब कांग्रेसी उनके खिलाफ हो गए। उन्हें फिर से टिकट न मिले यह तय किया गया। उस वक्त यह असम्भव जैसा था क्योंकि एक मात्र जीते सांसद के प्रति इंदिरा गांधी की सहानुभूति थी। ऐसे में बैतूल के सांसद नरेद्र साल्वे को यहां से लड़ाने की बात भी हुई। रेवनाथ चौरे इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली अपने साथियों के साथ पहुंच चुके थे। उस वक्त संजय गांधी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। नागपुर में हुए कोई विवाद को सुलझाने उन्होंने कमलनाथ को भेजा था। साल्वे उन्हें पांढुर्ना भी ले आए। पालीवाल जीनिंग मिल में ही एक बैठक रखी गई। साल्वे उन्हें बैठक में लेकर पहुंचे। उस समय कमलनाथ सबसे अपरिचित थे। बैठक में माधवलाल दुबे, दुर्गादास पालीवाल, शंकर राव बोकड़े, मोतीराम सांबारतोडे, भास्करराव पोतदार, रामचंद पराडकर, रामनाथ पाल, रणजीत सिंह ठाकुर, हरनाम सिंह ठाकुर, किशन अग्रवाल आदि उपस्थित थे। बैठक में साल्वे को सांसद का चुनाव लड़ाने की घोषणा होती उससे पहले साल्वे ने दुर्गादास पालीवाल को कमलनाथ का नाम आगे करने को कहा। वे कुछ झिझके तो साल्वे ने कहा कि वे संजय गांधी के खास मित्र हैं और इंदिरा गांधी भी उन्हें अपने बेटा जैसा ही मानती हैं।
इसके बाद एक पत्र दिल्ली भेजा गया। पत्र रेवनाथ चौरे को दिया गया और यह पत्र इंदिरा को सौंपने को कहा गया। इस दौरान दिल्ली में एक्सीडेंट में घायल होने के बाद भी रेवनाथ चौरे डटे रहे और जब तक कमलनाथ का नाम फाइलन न हो गया वे वापस नहीं आए। कमलनाथ का नाम तय हो गया और इंदिरा उन्हें खुद छिंदवाड़ा लाईं और अपने तीसरे बेटे के रूप में उनका परिचय जिले की जनता को दिया।
प्रवीण पालीवाल बताते हैं कि नपा चुनाव के बाद जब पहली बार कमलनाथ ने शहर में रोड शो किया था, इस दौरान वे नगर पालिका में स्वागत के लिए पहुंचे थे … तब कमलनाथ ने कहा था कि उस वक्त तो मुझे ये भी नहीं पता था कि भारत में छिंदवाड़ा जिला कहां है।

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