1000 से ज्यादा जरूरतमंदों को दिलाया रक्त
हर तबके और वर्ग के युवा इस समूहे जुड़े हैं। लोगों को खून उपलब्ध कराने का सिलसिला 16 साल पहले शुरू हुआ। चिंटू ने बताया कि उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे। वे तीन महीने वहां रहे। इस दौरान उन्होंने देखा कि खून के लिए किस तरह लोग परेशान होते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों से बात की और जरूरतमंदों को खून देना शुरू किया। आज वाट्सऐप पर आठ ग्रुप वे बना चुके हैं जिसमें दो हजार से ज्यादा रक्तदाता जुड़े हैं। लगभग एक हजार लोगों को खून देकर वे नई जिंदगी दे चुके हैं। चिंटू खुद भी 16 बार रक्तदान कर चुके हैं। चिंटू कहते हैं कि वास्तव में जब व्यक्ति को मदद की जरूरत हो और आप उस समय उसके लिए कुछ करें तो वो कुछ काम का है। इससे बड़ा धर्म और कोई नहीं हो सकता। समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो समाज सेवा के काम में मदद करना चाहते हैं। उनका सहयोग हमें मिलता है।
3.30 लाख जुटाया, कराया इलाज
शहर की एक बेटी बोन टीबी से परेशान थी। खूब पैसा लग रहा था। इन युवाओं को पता चला तो वे निकल पड़े सहायता के लिए। शहर के स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं और लोगों के पास जाकर पैसा जुटाया। 3.30 लाख रुपए के साथ नागपुर के श्योरटेक अस्पताल में उसका इलाज कराया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।