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छिंदवाड़ा

मिसाल: ये असहाय और जरूरतमंदों की मदद को हमेशा रहते हैं तैयार

शहर में युवाओं का समूह लोगों के लिए बना प्रेरणा

छिंदवाड़ाJan 28, 2019 / 10:49 am

prabha shankar

Inspiration made for groups of youth

Inspiration made for groups of youth

छिंदवाड़ा. बड़े लोगों के साथ हंसते हुए बड़ा काम व नाम करना आसान है, लेकिन मजा तो इसमें है कि ऐसे लोग जिनकी आंखों से आंसू निकल रहे हैं और मायूसी के दौर में जो किसी सहारे की आस लिए हैं उनकी मदद की जाए। इस काम में जो शांति, सुकून और आशीर्वाद मिलता है वह किसी बड़े पुरस्कार से कम नहीं। शहर में युवाओं का एक ऐसा ही ग्रुप है जिसका उद्देश्य ही समाज के उन लोगों का सहारा बनना है, जिन्हें इसकी वास्तव में जरूरत है।
बरारीपुरा निवासी चिंटू विश्वकर्मा और उनके साथी किशोर कपाले, विक्की सोनी, मयूर, छोटू कपाले, श्रवण शर्मा, चंदू कपाले, रिंकू राय, बंटी द्विवेदी, अजय कुशवाह, बिट्टू निम्बुलकर, मुकेश साम्बारे, राम सोनी कई गरीबों की मृत्यु होने के बाद उनका अंतिम संस्कार करा चुके हैं। उन्हें पता चल जाए कि किसी गरीब की मृत्यु हुई है और उसके परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं हैं। तत्काल कफन का सामान उसके घर पहुंचा दिया जाता है। यही नहीं मोक्षधाम पहुंचकर भी ग्रुप के सदस्य पूरा संस्कार निशुल्क कराने की व्यवस्था कराते हैं।
चिंटू बताते हैं अनगढ़ हनुमान मंदिर के समीप एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई थी। बात करीब 10 वर्ष पुरानी है। उसका कोई नहीं था। उन्होंने तुरंत अपने दोस्तों की मदद से उसके अंतिम संस्कार का इंतजाम किया। तब से यह सेवा का सिलसिला शुरू हुआ। इसमें खुद और दोस्तों के अलावा शहर के अन्य प्रतिष्ठित लोगों का सहयोग भी मिल रहा है। यह देश में कहीं भी आपदा हो उसके लिए भी मदद जुटाकर प्रशासन के जरिए योगदान देने में पीछे नहीं हटते।

1000 से ज्यादा जरूरतमंदों को दिलाया रक्त
हर तबके और वर्ग के युवा इस समूहे जुड़े हैं। लोगों को खून उपलब्ध कराने का सिलसिला 16 साल पहले शुरू हुआ। चिंटू ने बताया कि उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे। वे तीन महीने वहां रहे। इस दौरान उन्होंने देखा कि खून के लिए किस तरह लोग परेशान होते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों से बात की और जरूरतमंदों को खून देना शुरू किया। आज वाट्सऐप पर आठ ग्रुप वे बना चुके हैं जिसमें दो हजार से ज्यादा रक्तदाता जुड़े हैं। लगभग एक हजार लोगों को खून देकर वे नई जिंदगी दे चुके हैं। चिंटू खुद भी 16 बार रक्तदान कर चुके हैं। चिंटू कहते हैं कि वास्तव में जब व्यक्ति को मदद की जरूरत हो और आप उस समय उसके लिए कुछ करें तो वो कुछ काम का है। इससे बड़ा धर्म और कोई नहीं हो सकता। समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो समाज सेवा के काम में मदद करना चाहते हैं। उनका सहयोग हमें मिलता है।

3.30 लाख जुटाया, कराया इलाज
शहर की एक बेटी बोन टीबी से परेशान थी। खूब पैसा लग रहा था। इन युवाओं को पता चला तो वे निकल पड़े सहायता के लिए। शहर के स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं और लोगों के पास जाकर पैसा जुटाया। 3.30 लाख रुपए के साथ नागपुर के श्योरटेक अस्पताल में उसका इलाज कराया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

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