बजट और सौगात से हुए वंचित
वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के हिसाब से छिंदवाड़ा और पांढुर्ना जिलों को बजट और सौगातोंं से वंचित होना पड़ा है। जिला मुख्यालय में ही देखें तो नगर निगम की पिछले एक साल में 14 करोड़ रुपए की चुंगी क्षतिपूर्ति कटौती हुई है। निगम के आर्थिक हालात खराब होने से पूरे शहर को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। सरकार स्तर पर सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसी तरह विश्वविद्यालय भवन, कृषि कॉलेज भवन के लिए बजट का अभाव है। आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज में बजट कटौती से सिम्स में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित करने की स्थिति बन रही है। चौरई में सांख का पुल नहीं बन पा रहा है। माचागोरा बांध की नहर अधूरी पड़ी है। किसान शिकायत कर रहे हैं। चौरई के अलावा सौंसर मं संतरांचल से जुड़ी समस्याएं है।
कोयलांचल में कोयला खदानें बंद
कोयलांचल में तानसी और मोआरी समेत अन्य खदान बंद होने से रोजगार का संकट है। आवारा कुत्तों के काटने से पीडि़तों की संख्या बढ़ रही है। कोयला खदानों की लीज की वजह से पीएम आवास समेत अन्य योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह जलाशय व पर्यटन स्थलों की समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है।
जुन्नारदेव में कर्मचारी और जनता समस्याग्रस्त
जुन्नारदेव में प्रदेश की देवारण्य योजना में किसानों को लाभान्वित करने का मुद्दा है। किसानों को तीन हजार रुपए पेंशन की मांग की जा रही है। जुन्नारदेव के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के देनवा परिक्षेत्र एवं तामिया के पातालकोट के भारिया, गोंड, मवासी आदिवासियों के लिए हरित कृषि परियोजना का लाभ मिल नहीं पा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संविदा कर्मचारियों के लिए संविदा नीति और दिव्यांग जनो को सुविधा के लिए उपकरण प्रदान नहीं किए गए है।
हम उठाएंगे विधानसभा में मुद्दा
परासिया विधायक सोहन बाल्मीक, जुन्नारदेव के सुनील उइके और पांढुर्ना के निलेश उइके ने आम जनता के मुद्दे पर ध्यान दिलाए जाने पर कहा कि वे जनसमस्याओं पर विधानसभा में मुद्दे उठाएंगे और सरकार से उनके निराकरण की मांग करेंगे।