शुरुआती ढाई दशक तक तो इस आदिवासी जिले का प्रतिनिधित्व औपचारिक रूप से होता रहा, लेकिन 1977 के चुनाव में छिंदवाड़ा का नाम दिल्ली में तब परवान चढ़ा जब इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में पूरे देश में जनता पार्टी की लहर के बाद भी कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्रा ने यहां से जीत दर्ज की।
हालांकि भारतीय लोकदल से खड़े प्रतुलचंद द्विवेदी से उन्हें कड़ी टक्कर मिली और मिश्रा सिर्फ
2336 वोटों से जीत दर्ज कर पाए थे। इसके बाद 1980 में युवा कमलनाथ कांग्रेस के उम्मीदवार बनकर आए तो उसके बाद ये सीट पूरे देश में उनके नाम का पर्याय बन गई। वे तब से अब तक नौ बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने जाते रहे। वर्तमान में भी वे यहीं से सांसद हंै।
कमलनाथ अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं, इसलिए कांग्रेस ने उनके पुत्र नकुलनाथ को यहां से उम्मीदवार घेाषित किया है।