जिले से लेकर ब्लॉक तक अधिकांश बिना लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रही हैं। इनमें पौधों से बड़ा अवैध काम खाद , बीज, यूरिया और कम्पोस्ट बेचने का चल रहा है। यूरिया की बड़ी बोरियों को खरीदकर उसके छोटे-छोटे पैकेट बनाकर दो से तीन गुना दाम पर बेच रहे हैं। यह जानकारी कृषि विभाग को भी है। फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। खाद, बीज की क्वालिटी और उसे बेचने के लिए शासन की ओर से लाइसेंस अधिकृत दुकानदार को दिया जाता है। नर्सरी को संचालित करने के लिए भी उद्यानिकी विभाग से लाइसेंस जारी किया जाता है। नियमानुसार तभी इस कारोबार से जुड़ सकते हैं। विभाग की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके चलते लोग मनमर्जी से व्यापार से जुड़ रहे हैं। विभिन्न स्थानों के अलावा मुख्य सड़क के आस-पास तरह-तरह के फूल, फल और सजावट वाले पौधों को बेचने के लिए दुकानें लगती है। पौधों की गुणवत्ता अच्छी है या नहीं और दामों को लेकर भी कोई निर्धारण नहीं है, क्योंकि सम्बंधित विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है।
प्रचार प्रसार का अभाव
उद्यानिकी विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते अवैध तरीके से संचाालित हो रही है। आम व्यक्ति को यह नहीं पता कि उसे इस कारोबार को शुरू करने के लिए किस विभाग से अनुमति लेनी है। जबकि सरकार युवाओं को इससे जोडऩे के लिए लोन और प्रशिक्षण भी दिलाती है। किन्तु दुर्भाग्य है कि छिंदवाड़ा का उद्यानिकी विभाग इस मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है। योजना का प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण लोग नियम के अनुसार नहीं जुड़ रहे तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में नहीं जुड़ पा रहे हैं।
यहां से लें अनुमति
नर्सरी संचालित करने के लिए उद्यानिकी विभाग में आवेदन करना होता है। जिस स्थान पर पौधों को उगाया जाएगा उसकी जानकारी व इच्छुक आवेदक का नाम सहित सम्पूर्ण जानकारी उसमें उल्लेखित होनी चाहिए। सम्बंधित विभाग के अधिकारी इसमें आवश्यक मार्गदर्शन भी करते हैं। कारोबार से जुडऩे के लिए शासन स्तर से मदद भी मिलती है।
नोटिस जारी किए हैं।
नर्सरी संचालकों को विगत दिनों नोटिस जारी किया गया था, जिसके उपरांत 10 लोगों ने अनुमति ले ली है। शेष 50 के खिलाफ जांच और कार्रवाई की जाएगी।
राजकुमार कोरी, प्रभारी उपसंचालक, उद्यान, छिंदवाड़ा