scriptख़ास इनके लिए बदलना पड़ा आधार कार्ड बनाने का वर्जन | Many times the software has changed to make the cards of the disabled | Patrika News
छिंदवाड़ा

ख़ास इनके लिए बदलना पड़ा आधार कार्ड बनाने का वर्जन

छह साल में तीन बार बदला जा चुका है वर्जन

छिंदवाड़ाJun 15, 2018 / 11:51 am

vinay purwar

nagar nigam

ख़ास इनके लिए बदलना पड़ा आधार कार्ड बनाने का वर्जन

छिंदवाड़ा . आधार कार्ड वर्तमान समय में सबसे जरूरी दस्तावेजों में सुमार हो चुका है। आधार कार्ड उन लोगों का भी बनाया जाता है जो इसका उपयोग स्वयं नहीं कर पाते। मसलन मानसिक रूप से दिव्यांग एवं जिनके हाथों में उंगलियां और आंखों में रेटिना तक न हो। दरअसल, सरकारी सहायता एवं दिव्यांग पेंशन के लिए इनका भी आधार कार्ड होना जरूरी है। करीब छह साल पूर्व जब आधार कार्ड बनना शुरू हुए तो दिव्यांगों के आधार बनाने मेंं काफी समस्या आई। आधार कार्ड के लिए शुरुआत में आया वर्जन सामान्य लोगों के लिए तो कारगर था पर दिव्यांगों के लिए उपयुक्त नहीं था। इसके लिए दूसरा वर्जन लांच किया गया, जिसमें सिर्फ दिव्यांगों के आधार कार्ड बनाए जा सकते थे। किन्तु पंयीजन केंद्र में एक ही कम्पयूटर सेट पर वर्जन बदलकर काम करने में कई घंटे लग जाते थे। तब तीसरा वर्जन जारी हुआ और सामान्य एवं दिव्यांग दोनों के लिए एक ही सॉफ्टवेयर में काम होने लगा।
यह आती थी समस्या
आधार कार्ड पंजीयन केंद्र के सुपरवाइजर लोकेश डोले ने बताया कि पहले के वर्जन में यदि किसी दिव्यांग की एक अंगुली या अंगूठा नहीं है अथवा आंख की रेटिना नहीं है तो आधार नहीं बन पाते थे। अब तीसरे वर्जन में एक अंगुली या एक आंख की रेटिना भी है तो स्कैन कर आधार कार्ड बन रहे हैं। इसके अलावा कई मानसिक दिव्यांगों के न तो रेटिना और न ही अंगुलियों को स्कैन किया जा सका। एेसे में उनेे फेस को स्कैन किया जाता है। मानसिक दिव्यांगों के चेहरे को स्कैन करने के लिए उन्हें स्थिर रखना काफ ी टेढ़ी खीर होता है। फिंगर प्रिंट के लिए बतौर गारंटर उनके नजदीकी रिश्तेदार क ी अंगुलियों क ो स्कैन किया जाता है। लोकेश अब तक ६० से अधिक दिव्यांगों का दूसरे एवं तीसरे वर्जन से आधार बना चुके हैं।

Home / Chhindwara / ख़ास इनके लिए बदलना पड़ा आधार कार्ड बनाने का वर्जन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो