आधार कार्ड पंजीयन केंद्र के सुपरवाइजर लोकेश डोले ने बताया कि पहले के वर्जन में यदि किसी दिव्यांग की एक अंगुली या अंगूठा नहीं है अथवा आंख की रेटिना नहीं है तो आधार नहीं बन पाते थे। अब तीसरे वर्जन में एक अंगुली या एक आंख की रेटिना भी है तो स्कैन कर आधार कार्ड बन रहे हैं। इसके अलावा कई मानसिक दिव्यांगों के न तो रेटिना और न ही अंगुलियों को स्कैन किया जा सका। एेसे में उनेे फेस को स्कैन किया जाता है। मानसिक दिव्यांगों के चेहरे को स्कैन करने के लिए उन्हें स्थिर रखना काफ ी टेढ़ी खीर होता है। फिंगर प्रिंट के लिए बतौर गारंटर उनके नजदीकी रिश्तेदार क ी अंगुलियों क ो स्कैन किया जाता है। लोकेश अब तक ६० से अधिक दिव्यांगों का दूसरे एवं तीसरे वर्जन से आधार बना चुके हैं।