इस वजह से कुछ क्षेत्रों में मलेरिया के रोगी सामने आते है। उन्होंने बताया कि डॉ. रोनाल्ड रॉस ने वर्ष 1896 में मलेरिया रोग की वजह मादा एनॉफिलीज मच्छर के काटने से होना खोजा था। इसके बाद से पूरे विश्व में उनकी याद में 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। डीएमओ भालेकर ने बताया कि छोटा सा दिखने वाला यह मच्छर बहुत ही घातक होता है तथा इसके काटने से कई तरह क बीमारियां हो सकती है।
बारिश का मौसम अनुकूल – बताया जाता है कि मच्छरों के लिए जुलाई-अगस्त का मौसम अनुकूल होता है। इस मौसम में बारिश का पानी जगह-जगह एकत्रित हो जाता है, जो कि इनके प्रजनन के लिए उचित होता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मच्छरों के काटने से हर साल करीब दस लाख लोगों की मौत हो जाती है।
निशुल्क बांटी गई मच्छरदानी की स्थिति – जिले में डब्ल्यूएचओ के माध्यम से समस्त विकासखंडों में करीब तीन लाख मेडिकेटेड मच्छरदानी का वितरण किया गया, जिसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों से मलेरिया संक्रमण नियंत्रित नहीं हो सका है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार बांटी गई मच्छरदानी की स्थिति –
ब्लाक बांटी गई मच्छरदानी
1. पिंडरईकलां 46970 2. मोहखेड़ 25450
3. परासिया 33100 4. अमरवाड़ा 22300
5. जुन्नारदेव 75780 6. तामिया 34700
7. हर्रई 13700 8. बिछुआ 17250
9. चौरई 21950 10.सौंसर 3950