MP Budget 2021: लोगों को क्यों याद आ रहा कमलनाथ सरकार का कार्यकाल
पुरानी सरकार का बजट होता तो स्मार्ट सिटी बन झूमता-थिरकता छिंदवाड़ा, शिवराज सरकार के बजट में उपेक्षा का शिकार जिला

छिंदवाड़ा। एक साल पुरानी कमलनाथ सरकार का बजट होता तो छिंदवाड़ा मिनी स्मार्ट सिटी बनकर झूमता-थिरकता। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय और कृषि महाविद्यालय के भवन तैयार होते और जेल कॉम्प्लैक्स तथा मेडिकल कॉलेज सिम्स निर्माण को गति मिलती। शिवराज सरकार के बजट में जिस तरह छिंदवाड़ा जिले की उपेक्षा हुई है, उससे आम नागरिक एक साल पुरानी कमलनाथ सरकार के स्वर्णिम कार्यकाल को याद कर रहे हैं, जब यह जिला हर सेक्टर में प्राथमिकता के साथ उन्नति करता दिखता था।
शिवराज सरकार के एक दिन पहले पेश वर्ष 2021-22 में बजट में पड़ोसी सिवनी जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली है तो जबलपुर में कृषि विवि की मृदा लैब बनाने की घोषणा की गई है। मालवा और बुंदेलखंड को भी काफी कुछ दिया गया है। अखबार में सुबह जैसे ही पूरे बजट की तस्वीर दिखाई दी तो लोग छिंदवाड़ा की उपेक्षा देख निराश हो गए। हालांकि यह कोई नया घटनाक्रम नहीं था क्योंकि 34 अमृत शहरों के मास्टर प्लान में छिंदवाड़ा का नाम सबसे नीचे होना देखा जा चुका है। आम प्रतिक्रिया यही थी कि एक साल पहले तक छिंदवाड़ा का मुख्यमंत्री होने पर पूरे प्रदेश पर दबदबा था। कोई भी प्रोजेक्ट और योजनाओं में छिंदवाड़ा का नाम आता था। अब वह स्वर्णिम दिन चले गए। पूरे पांच साल तक कमलनाथ सरकार चलती तो छिंदवाड़ा का नक्शा बदल जाता। अब तो केवल उन स्वर्णिम दिनों की याद रह गई है। अब राजनीतिक उपेक्षा का दंश शेष तीन साल काटना ही पड़ेगा।
राजनीतिक उपेक्षा से ये प्रोजेक्ट रह गए पीछे
33 करोड़ की मिनी स्मार्ट सिटी योजना व 35 करोड़ की सीएम अधोसंरचना की सडक़ों के लिए नहीं मिल पाया बजट।
1600 करोड़ रुपए के मेडिकल कॉलेज सिम्स निर्माण भी उपेक्षा का शिकार। इसका काम बंद होने की कगार पर है।
400 करोड़ का छिंदवाड़ा विवि का भवन सारना में प्रस्तावित था। इसके लिए राशि का प्रावधान का अभाव दिखाई दिया।
225 करोड़ रुपए का जेल कॉम्प्लैक्स का निर्माण अर्जुनवाड़ी में होना था। यह प्रोजेक्ट भी दम तोड़ रहा है।
4500 करोड़ रुपए का छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्प्लेक्स का प्रोजेक्ट भी 500 करोड़ रुपए के एडवांस भुगतान में फंस गया। पुरानी सरकार रहती तो इसका निर्माण शुरू हो जाता।
छिंदवाड़ा संभाग, कोयलांचल व पांढुर्ना जिला समेत अन्य प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए है।
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