आफत आ रही है शिक्षकों की एेसे में आफत आ रही है तो शिक्षकों की। इन समस्याओं का शिक्षकों को समाधान भी नहीं मिल रहा है। इसमें सबसे अधिक दिक्कत मकान मालिक के पैन कार्ड की अनिवार्यता की आ रही है जो नहीं दे रहे हैं।
यह है मामला सभी को 31 मार्च से पहले आयकर रिटर्न देनी है। इसमें हाउस रेंट पर रिबेट मिलती है। एेसे में सभी कर्मचारी मकान मालिक को दिए किराये की रसीदें और पैन कार्ड जमा कराते हैं। रिबेट तभी मिल पाती है। लेकिन इन दोनों डॉक्यूमेंट को जमा कराने को लेकर ही डीडीओ अपने अपने नियम बता रहे हैं और आयकर विभाग अलग।
यह है नियम मूल वेतन का दस प्रतिशत एचआरए देय होता है। जैसे मूल वेतन 20000 रुपए है तो 2000 रुपए एचआरए देय होगा। आयकर विभाग के अनुसार 2999 रुपए तक यदि एचआरए देय है तो न रसीद देेने की जरूरत है न पैन कार्ड की फोटो कॉपी की। रिबेट अपने आप मिल जानी चाहिए। दूसरा नियम यह है कि एचआरए3000 रुपए या इससे अधिक है और कर्मचारी किराये के रूप में 8333 रुपए का भुगतान कर रहा है तो केवल किरायेनामे की रसीद देनी होगी। तीसरा नियम यह है कि यदि एचआरए 3000 रुपए से अधिक है और कर्मचारी भुगतान भी 8333 रुपए से अधिक कर रहा है तो उसे रसीद और पैन कार्ड दोनों देने होंगे।
शिक्षकों व कर्मचारियों को दिक्कत यह दोनों ही मकान मालिक के होने चाहिए। लेकिन हालात यह हैं कि डीडीओ आयकर विभाग के नियमों से अलग प्रत्येक कर्मचारी से किराये नामे की रसीद और पैनकार्ड मांग रहे हैं। यह नहीं देख रहे कि एचआरए और उनके किराये के भुगतान की राशि क्या है। एेसे में शिक्षकों व कर्मचारियों को दिक्कत यह आ रही है कि वे पैनकार्ड कहां से लाएं। क्योंकि मकान मालिक पैनकार्ड नहीं दे रहे।
शिक्षक नेताओं का कहना अखिल भारतीय विद्यालयी शिक्षक संघ, अरस्तु के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि नियमानुसार तीन हजार रुपए एचआरए और 8333 से अधिक के किरायेनामे पर ही किरायेनामे की रसीद और मकानमालिक का पैन कार्ड जरूरी होता है। लेकिन डीडीओ अपनी मशक्कत बचाने के लिए शिक्षकों से जरूरत नहीं होने पर भी मांग रहे हैं।
जरूरत होने पर ही मांगना चाहिए इधर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक अलवर रोहिताश मित्तल बताते हैं कि किरायेनामे की रसीद और पैनकार्ड जरूरत होने पर ही मांगना चाहिए। अगर अनावश्यक मांगे जा रहे हैं तो इस संबंध में डीडीओ से बातचीत कर सही निर्देश दिए जाएंगे।