कलेक्टर के द्वार पर पिता के साथ पहुंची पीडि़त बालिका
छिंदवाड़ा•Jul 03, 2019 / 11:39 am•
prabha shankar
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छिंदवाड़ा. माध्यमिक शिक्षा मण्डल के एक मूल्यांकनकर्ता की एक गलती ने बारहवीं की एक छात्रा की आंखों में न केवल आंसू ला दिए, बल्कि उसके भविष्य को अधर में लटका दिया। वह मंगलवार को कलेक्टर के द्वार पर हर किसी को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं में सवालों के सहीं उत्तर और उसमें अंकों की माॢक ंग न होने के प्रमाण दिखा रही थी। उपस्थित जनसमुदाय की सहानुभूति भी इस बालिका के साथ थी। हर कोई नियमों के पेंच में फंसी पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया को धिक्कार रहा था।
इस प्रक्रिया ने सीएम के जिले की इस बालिका की मदद की और उसे दर-दर ठोकर खाने के लिए मजबूर कर दिया।
कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देकर अपने माता-पिता के साथ बाहर आई बालिका सानिया के चेहरे पर मानसिक पीड़ा साफ नजर आ रही थी। उसने बताया कि उसने चांदामेटा के एक प्राइवेट स्कूल से वर्ष 2019 में बारहवीं परीक्षा दी थी। नतीजे में उसे दो विषय में फेल कर दिया गया। दोनों विषय में पुनर्मूल्यांकन एवं पुनर्गणना करवाई। फिर भौतिक शास्त्र एवं जीव विज्ञान की उत्तर पुस्तिका बुलवाई तो उसे बिना मूल्यांकन कर भेज दिया गया। छात्रा के मुताबिक विषय विशेषज्ञ से जांच कराने पर पता चला कि मूल्यांकन पूर्णत: त्रुटिपूर्ण और निष्क्रिय भावना से जांच कर भेज दिया गया। उत्तरपुस्तिका देखने से स्पष्ट है कि सही उत्तरों पर नम्बर तक नहीं दिए गए हैं। बालिका के पिता मो. इसरार ने बताया कि मूल्यांकनकर्ता की इस गलती व लापरवाही के चलते उनकी बेटी दुखी है। उसका भविष्य अधर में है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इस स्थिति में कौन सा कदम उठाए। कलेक्टर के गाइडेंस और सहयोग मांगने आए।
इसके बाद ये लोग जिला शिक्षा अधिकारी के पास भी गए। उन्होंने कहा कि वे सीएम कमलनाथ से भी मिलकर बेटी के साथ हुए अन्याय को बताएंगे और न्याय की मांग करेंगे।
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