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छिंदवाड़ा

एक हजार की आबादी के लिए रास्ता नहीं

बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे रामूढाना के विद्यार्थी

छिंदवाड़ाNov 10, 2018 / 11:40 am

mantosh singh

No way in sausar

एक हजार की आबादी के लिए रास्ता नहीं

छिंदवाड़ा. सौंसर विकासखंड के रामूढाना गांव में आने-जाने के लिए रास्ता नहीं है। चार साल पहले कन्हान नदी के बाढ़ में सडक़ बह गई। रामूढाना के ग्रामीणों ने जोबनी गांव के किसानों के खेतों में पगडंडी रास्त बना दिया। आज भी गांव की 1000 आबादी 2.5 किलोमीटर पगडंडी से ही आना-जाना करती है। रेखा बाई का कहना है कि मुश्किल से हम लोग आना-जाना करते हैं।

शुक्र है कि हमारा दु:ख देखकर जोबनी गांव के किसानों ने रास्ता दे दिया। शकुन बाई का कहना है कि बारिश में घुटने तक पानी भर जाता है। बीमार होने पर पीडि़त को बैलगाड़ी से लाना पड़ता है। कई बार बैलगाड़ी रास्ते में ही फंस जाती है। रास्ते में ही प्रसव कराना पड़ा। दुर्गाबाई का कहना है कि गांव में आठवीं तक स्कूल है, उसके बाद आगे की शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को आमला डिपो जाना पड़ता है। रास्ता खराब होने की वजह से बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं।

 


गणपत और धनराज का कहना है कि रास्ता नहीं होने की वजह से गांव में लोग शादी-ब्याह करने से भी कतरा रहे हैं। ग्राम जोबनी के किसान रमेश खानोरकर ने कहा, बाढ़ में सडक़ बह जाने के बाद सात किसानों ने खेत के बीच से रास्ता दे दिया, उस समय सभी किसानों को फसल नुकसानी का पांच-पांच हजार रुपए मुआवजा दिया गया। उसके बाद आज तक सिर्फ आश्वासन मिला। चार साल से लोग खेत के बीच से आना-जाना कर रहे हैं। बारिश में जब रास्ते पर पानी भर जाता है तो लोग खेत के दूूसरे हिस्सों से रास्ता बना लेते हैं, इससे हमारी फसलें खराब हो रहीं हैं।


विनायक बंसोड़ ने कहा, विधानसभा चुनाव करीब आते ही प्रतिदिन अधिकारी आ रहे हैं और पगडड़ी पर मुरम डालने की बात कह रहे हैं, ताकि लोगों को मतदान करने में परेशान न हो। सभी किसानों ने पहले ही अधिकारियों से कहा था कि हमारी जमीन का उचित मुआवजा देकर सडक़ बना दी जाए, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

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